मूर्ति विसर्जन बना यमुना के लिए संकट, लोगों पर मंडरा रहा घातक बीमारियों का खतरा

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Dec, 2018 01:38 PM

statue immersion crisis for yamuna

यमुना की स्वच्छता का काम देख रही एक निगरानी समिति ने कहा है कि सिंथेटिक सामग्री से बनी और घातक पेंट से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से यमुना में भारी धातु सांद्रण कई गुना बढ़ गया है।

नई दिल्ली: यमुना की स्वच्छता का काम देख रही एक निगरानी समिति ने कहा है कि सिंथेटिक सामग्री से बनी और घातक पेंट से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से यमुना में भारी धातु सांद्रण कई गुना बढ़ गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने समिति को अवगत कराया कि गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन और छठ पूजा के दौरान होने वाली धार्मिक गतिविधियों ने नदी को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। समिति ने कहा कि यह अस्वीकार्य और खतरनाक’’ है।
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साल में नौ महीने सूखी रहती है यमुना
निगरानी समिति ने कहा है कि यमुना जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही है’’ और न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह सुनिश्चित किए जाने तक इसके पुनरुद्धार की संभावना नहीं है क्योंकि असल में इसका प्रवाह ठहर गया है और कई जगहों पर यह साल में नौ महीने सूखी रहती है। समिति ने सुझाव दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों और नदी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए तथा उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
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मूर्तियों के रंग और पेंट बने खतरा
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा गठित निगरानी समिति ने उल्लेख किया कि सिंथेटिक सामग्री से बनी और घातक पेंट से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से नदी में भारी धातु सांद्रण बढ़ गया है। सीपीसीबी ने कहा कि नदी में मूर्ति विसर्जन के बाद क्रोमियम का स्तर भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय की गई सीमा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से 11 गुना बढ़ गया। वहीं, लौह सांद्रण तय सीमा 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से 71 गुना और निकल का स्तर 0.02 मिलीग्राम प्रति लीटर से एक गुना तथा सीसा का स्तर 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से दोगुना बढ़ गया।
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घातक बीमारियों का खतरा
निगरानी समिति ने कहा कि गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन के बाद नदी के पानी में ‘‘प्रदूषक तत्वों का अस्वीकार्य स्तर’’ देखा गया। इसने कहा कि इस बारे में तत्काल जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है कि यह कितना खतरनाक हो सकता है और जब सीपीसीबी के दिशा-निर्देशों की अवहेलना हो रही है तो कोई ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए।’’ अनुसंधानकर्त्ताओं के अनुसार जो लोग यमुना में स्नान करते हैं उनके लिए नदी में मौजूद भारी धातु की घातकता मस्तिष्क, फेफड़ों, गुर्दे, लिवर और अन्य महत्वपूर्ण अंगों की कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है। इस तरह के धातु सांद्रण के संपर्क में लंबे समय तक रहने से पार्किंसन, अल्जाइमर और मांसंपेशियों के क्षय जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं।

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