Edited By Seema Sharma,Updated: 31 Oct, 2018 02:54 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के नर्मदा जिले में केवड़यिा स्थित सरदार सरोवर बांध से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर साधु द्वीप पर बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी को राष्ट्र को समर्पित किया।
अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के नर्मदा जिले में केवड़यिा स्थित सरदार सरोवर बांध से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर साधु द्वीप पर बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को राष्ट्र को समर्पित किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के साथ यह चीन के स्प्रिंगफील्ड बुद्धा की 153 मीटर ऊंची मूर्ति को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बन गई। इसके साथ ही मोदी ने प्रतिमा के पास नर्मदा नदी के किनारे फूलों के बगीचे (वैली ऑफ फ्लावर्स), देश के एक लाख 69 हजार गांवों से लाई गई मिट्टी से बनी एकता की दीवार (वॉल ऑफ यूनिटी) और पर्यटको के लिए बनी टेंट सिटी का भी उद्घाटन किया।
एयरफोर्स ने दी सलामी
मोदी की ओर से पटेल जयंती पर आज इस प्रतिमा का लोकार्पण किए जाने के बाद हेलिकॉप्टर के जरिए इस पर फूल बरसाए गए। वायु सेना के तेज किरण विमानों ने इस मौके पर आकाश में तिरंगा बनाया।
गुजरात सरकार की ओर से मोदी को इस मौके पर एक प्रशस्ति पत्र और इस प्रतिमा के निर्माण के लिए किसानों से उपकरण जमा करने के अभियान के दौरान मिला पहला औजार झारखंड के एक किसान का हथौड़ा भी सौंपा गया। इस मौके पर आयोजित मुख्य समारोह में सरदार पटेल के परिजन भी उपस्थित थे। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला, मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, गुजरात के राज्यपाल ओ पी कोहली, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी वहां मौजूद रहे।
स्टैचू ऑफ यूनिटी की खासियत
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और यह महज 33 माह के रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुई है। इसका निर्माण 19 दिसंबर, 2015 को शुरू किया गया था।
- यह मूर्ति 182 मीटर ऊंची है।
- प्रतिमा के चेहरे की ऊंचाई ही सात मंजिली इमारत के बराबर है। इसके हाथ ही 70 फुट लंबे हैं, जबकि पैर के निचले हिस्से की ऊंचाई 85 फुट है।
- लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के खर्च से करीब साढ़े तीन साल में बन कर तैयार हुई इस मूर्ति की ऊंचाई न्यूयॉर्क स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी करीब दो गुनी है।
- इसे बनाने की घोषणा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने वर्ष 2010 में की थी। इसका काम एल एंड टी कंपनी को अक्टूबर 2014 में सौंपा गया था। काम की शुरुआत अप्रैल 2015 में हुई थी।
- इसमें 70 हजार टन सीमेंट और लगभग 24000 टन स्टील, 1700 टन तांबा और इतना ही कांसा लगा है।
- प्रतिमा के आधार पर एक म्यूजियम और इसके अंदर 153 मीटर की ऊंचाई पर जहां इसका का हृदयस्थल है, इस पहाड़ी क्षेत्र, नर्मदा नदी और निकटवर्ती सरदार सरोवर डैम का नजारा देखने के लिए एक दर्शक क्षेत्र भी बनाया गया है। इसमें दो लिफ्ट भी लगाए गए हैं।
- यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी गई हैं।
- इस मूर्ति में दो लिफ्ट लगी हुई है, जिनके जरिए सरदार पटेल की मूर्ति की छाती तक पहुंचा जा सकेगा। यहां से सरदार सरोवर बांध का नजारा देखा जा सकेगा, इतना ही नहीं खूबसूरत वादियों को देखने का भी आनंद लिया जा सकता है।
- सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी।
- यह स्टैचू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं में भी स्थिर खड़ा रहेगा और 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सहन कर सकेगा।