Edited By kamal,Updated: 13 May, 2018 07:08 PM
मां आखिर मां होती है और मां जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं होता। उसके बच्चों को कोई दुख तकलीफ न हो इसके लिए मां हर संभव प्रयास करती है। हर कोई जिसने जन्म लिया उसके जीवन में मां का जिक्र लाजमी है।
छतरपुर : मां आखिर मां होती है और मां जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं होता। उसके बच्चों को कोई दुख तकलीफ न हो इसके लिए मां हर संभव प्रयास करती है। हर कोई जिसने जन्म लिया उसके जीवन में मां का जिक्र लाजमी है।
आज मदर्स डे है इसलिए हम जिक्र कर रहे हैं जिला अस्पताल छतरपुर में भर्ती एक ऐसी मां का जो अपने बच्चों के लिए बिलख रही है। बूढ़ी मां की आंखें उसके बच्चों को देख़ने के लिए पल –पल तरस रही हैं। पिछले 7 सालों से वृद्धाश्रम में रह रही 77 वर्षीय बुजुर्ग महिला शांति बीमारी के चलते जिला अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में भर्ती है।
बुजुर्ग शांति की मानें तो वह गंभीर रूप से बीमार थी। बावजूद इसके वृद्धाश्रम वाले उसका इलाज नहीं करा रहे थे। बीमारी की बात करने पर उसे दुत्कारते हुए कह देते थे कि हम तुम्हें खिला-पिला रहे हैं बस इतना ही काफी है और तुम्हारी बीमारी का इलाज कराना हमारा काम नहीं है। असहाय बुजुर्ग मां दुखी होकर वृद्धाश्रम से निकलकर जिला अस्पताल परिसर में बने मंदिर तक पहुंची। जहां बेहोशी की हालत में पड़ी वृद्धा को देख अस्पताल के रोहित सोनी नाम के एक कर्मचारी ने उसे भर्ती कराया। जिसके बाद वह बमुश्किल बच सकीं।
अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग शांति पिछले कई सालों से वृद्धाश्रम में रह रही है। उसके दो बेटे भी हैं पर कोई उसे कभी देखने तक नहीं आया। शांति बीमार है और ज़िन्दगी की आखिरी घड़ियां गिन रही है। बावजूद इसके उसे देखने वाला कोई नहीं है। वह अपने बेटों की एक झलक के लिये तरस रही है।
बुजुर्ग शांति की मानें तो उसके बेटे तो उसे रखना भी चाहते हैं पर बहुएं इसके लिए नहीं मानती। वृद्धा ने बताया कि एक बार बेटों ने मुझे रखा, तो बहू कुंए में कूद गई थी। बहू बेटे से कहती है कि अगर तुमने अपनी मां को अपने साथ रखा तो मैं फिर से कुंए में कूद जाउंगी, इसलिए अब मुझे मेरे बेटे नहीं रखते हैं। एक मां के साथ इस तरह का व्यव्हार ठीक नहीं हैं। बड़ी बात तो यह है कि अगर एक बहू अपनी सास में मां देखेगी तो सास उसे मां का प्यार देगी और बेटी की तरह रखेगी।