Edited By vasudha,Updated: 05 Dec, 2019 06:14 PM
उच्चतम न्यायालय में ‘बार एवं बेंच'' के बीच तनातनी का मामला वीरवार को तब सुलझ गया कि जब न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा कि वह भी बार के सदस्य रहे हैं और यदि उनकी बात से किसी को चोट पहुंची है तो खेद व्यक्त करते हैं...
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय में ‘बार एवं बेंच' के बीच तनातनी का मामला वीरवार को तब सुलझ गया कि जब न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा कि वह भी बार के सदस्य रहे हैं और यदि उनकी बात से किसी को चोट पहुंची है तो खेद व्यक्त करते हैं। एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन के बीच मंगलवार को गर्मागर्म बहस हो गई थी और शंकरनारायणन अदालत कक्ष से गुस्से में बाहर आ गए थे।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड्स ने न्यायालय के इस व्यवहार के खिलाफ बुधवार को आपत्ति दर्ज कराई थी। आज बार के तमाम वरिष्ठ सदस्य बेंच के समक्ष उपस्थित गहरी आपत्ति जताई। इसकी शुरुआत वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की और अभिषेक मनु सिंघवी उसे आगे बढ़ाया। सिब्बल ने कहा कि बार और बेंच को ‘हतोत्साहित करने वाले वातावरण' से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हतोत्साहित करने वाला माहौल नहीं होना चाहिए। थोड़ा धैर्य रखें। हम केवल एक दूसरे से विनम्र व्यवहार रखने का अनुरोध करते हैं।
इसके बाद सिंघवी ने कहा कि हमारा प्रयास केवल यह सुनिश्चित करना है कि आपका प्रभुत्व हमारे संदेश को समझे। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि एक दूसरे के साथ विनम्र संवाद से बार का निर्माण होता है।पीठ में शामिल न्यायमूर्ति एम आर शाह ने कहा कि एक दूसरे के प्रति परस्पर सम्मान होना चाहिए। न्यायमूर्ति शाह ने शंकरनारायणन के साथ मंगलवार को हुई घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सब कुछ आपसी होना चाहिए। यह दूसरी तरफ से भी हुआ। मैं यह नहीं कह सकता कि उन्होंने क्या किया। लेकिन हमने कहा था, लेकिन उन्होंने प्रस्तुतियां देने से इनकार कर दिया।
तब सिब्बल ने उल्लेख किया कि यह कि सम्मिलित घटनाओं का परिणाम था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने इस प्रकरण पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अगर किसी को चोट लगती है, तो कोई जानवर या पेड़ भी हो तो मैं माफी मांगने के लिए तैयार हूं। मुझे पता है कि आप माफी मांगने के लिए नहीं कह रहे हैं लेकिन अगर मेरे कारण किसी को कोई नुकसान हुआ है तो मैं किसी भी जीवित प्राणी से माफी मांगता हूं। गोपाल शंकरनारायण उम्र में हमसे छोटे हैं। यहां तक कि कम उम्र के लोगों से भी मैं सौ बार माफी मांगता हूं।' न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपनी माफी को दोहराया कि मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। इसके बाद यह प्रकरण समाप्त हो गया।