सितारों से आगे जाने के इरादे मजबूत, बढ़ाते रहेंगे कदम

Edited By vasudha,Updated: 18 Sep, 2019 11:00 AM

strong intention to go beyond the stars

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग भले ही उम्मीद के मुताबिक नहीं रही, पर सितारों से आगे जाने के उसके इरादे मजबूत हैं...

नेशनल डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग भले ही उम्मीद के मुताबिक नहीं रही, पर सितारों से आगे जाने के उसके इरादे मजबूत हैं। नासा ने भले ही ट्वीट कर उसे सूर्य मिशन में साथ मिलकर काम करने की पेशकश की हो मगर भारत इस मिशन पर 2008 से ही काम कर रहा है और अगले ही साल इसकी लांचिंग है। इसरो के कई बड़े अभियान आने वाले वर्षों में हमें दिखेंगे, इन पर ही सुधीर राघव की यह रिपोर्ट...

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आदित्य एल-1 :एक बड़ा कदम सूरज की ओर
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंंग के प्रयास के लिए इसरो की सराहना करते हुए कहा था कि आओ अब सूर्य के अध्ययन के लिए मिलकर काम करें। भारत सूर्य की ओर जाने की जनवरी 2008 से ही तैयारी कर रहा है। उसका मिशन आदित्य एल-1 अगले साल ही लांच होना है। यह मिशन इसरो और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) मिलकर तैयार कर रहे हैं। आदित्य एल-1 सेटेलाइट का मॉडल पिछले साल साइंस कान्फ्रेंस में भी रखा गया था। यह टाइटेनियम से बना सेटेलाइट 1500 किलोग्राम वजन का है। धरती से 15 लाख किलोमीटर की यात्रा कर यह सूर्य के कोरोना की रासायनिक बनावट का अध्ययन करेगा। इसे 2020 में जून से पहले पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट से छोड़ा जाएगा। इसके लिए 378.53 करोड़ का बजट रखा गया है। इसमें सात तरह के उपकरण लगे होंगे। 

 

गगनयान :प्रस्तावित लांचिंग 2021
यह इसरो का अंतरिक्ष में मानव भेजने का अभियान है। गगनयान 3.7 टन का एक कैप्सूल है, जिसे धरती की 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा। इसमें दो से तीन लोग धरती की इस कक्षा में सात दिन तक रह सकेंगे। इसे जीएसएलवी मार्क-3 से दिसंबर 2021 में लांच किया जाना प्रस्तावित है। गगनयान पर काम इसरो ने 2006 में ऑर्बिटल व्हीकल नाम से शुरू किया था। 2014 में इसका नाम बदलकर गगनयान कर दिया गया। 18 दिसंबर 2014 को इसके कैप्सूल ने बिना मानव सफल प्रायोगिक लांचिंग और वापसी की थी। 

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निसार :2022 में इसरो-नासा करेंगे कमाल
पृथ्वी के बदलते पर्यावरण के अध्ययन के लिए यह नासा और इसरो का साझा मिशन है। यह सार प्रोजेक्ट है, जिसमें एन नासा से और इसरो का आई मिलाकर इसे निसार नाम दिया गया है। इसमें एक अर्थ ओबजरवेशन सेटेलाइट को इसरो के शक्तिशाली राकेट जीएसएलवी मार्क-3 से 2022 में श्रीहरिकोट से लांच किया जाएगा। इसमें सिंथेटिक अपर्चर राडार लगे होंगे जो पृथ्वी पर सतह और बर्फ की महीने में चार से छह बार तस्वीरें लेंगे और बदलाव रिकार्ड करेंगे। नासा इसके लिए एल बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार (सार), हाईरेट टेलेकम्युनिकेशन सबसिस्टम, जीपीएस रिसवर, सोलिड स्टेट रिकॉर्डर और पेलोड डाटा सिस्टम देगा, जबकि इसरो सेटेलाइट बस, एस बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार, रॉकेट और लांचिंग सुविधा देगा।

 

शुक्रयान: लांचिंग 2024
शुक्र की सतह और इसके वातावरण के अध्ययन के लिए इसरो मिशन शुक्रयान-1 पर काम कर रहा है। शुक्रयान के लिए फंड 2017 में जारी किया गया। इसकी लांचिंग 2023 में प्रस्तावित है। यह शुक्र की 500 किमी गुणा 60,000 किमी की कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसका कुल वजन 100 किलोग्राम होगा।

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मंगलयान-2: लांचिंग 2021
इसरो फ्रांस के सहयोग से मंगलयान-2 मिशन पर काम कर रहा है। मंगलयान-2 की लांचिंग 2024 में प्रस्तावित है। यह मंगल की निचली कक्षा में चक्कर लगाएगा। भारत का मंगलयान-1 मिशन भी काफी कामयाब रहा था। चांद के बाद मानव मिशन के अगले पड़ाव के रूप में मंगल को देखा जा रहा है।

 

चंद्रयान-3: जापान के साथ 2024 में उड़ान
यह इसरो का सैंपल रिटर्न मिशन है, यानी चांद की सतह पर उतरकर वहां से सैंपल लेकर वापस आया जाएगा। इस मिशन पर इसरो जापान की स्पेस एजैंसी जेक्सा के सहयोग ले रहा है। इसरो लैंडर तैयार करेगी, जबकि रॉकेट और रोवोर जेक्सा का होगा। चंद्रयान-3 को 2024 में लांच किया जाना प्रस्तावित है।


भारत का अंतरिक्ष स्टेशन:2030 तक तैयार
इसरो 2030 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है। इसकी जानकारी इसरो प्रमुख के सिवन ने गत 6 सितम्बर को ही दी थी। 

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