Edited By Monika Jamwal,Updated: 01 Jul, 2022 09:06 PM
कश्मीर घाटी में सूफीवाद को फिर से जिंदा करने में विभिन्न संगठन आगे आ रहे हैं।
श्रीनगर: कश्मीर घाटी में सूफीवाद को फिर से जिंदा करने में विभिन्न संगठन आगे आ रहे हैं। इसी के तहत बारामूला के टंगमर्ग में वाॅयस फाॅर पीस एंड जस्टिस ने एक सम्मेलन आयोजित किया।
इस सम्मेलन में सूफीवाद के प्रति जागरूकता लाने के प्रयास में लेखक, कवि और अन्य बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इस दौरान कई संगीत सेगमेंट भी रखे गये थे और उन्हें काफी सराहा गया।
सम्मेलन में कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्से से आए लोगों ने भाग लिया। वहीं संगठन के सचिव शेख मिनजाह ने कहा कि कश्मीर में शाति और प्यार को बिखेरने का सूफीवाद ही एकमात्र रासता है। उन्होंने कहा कि मीलों का सफर तय करके सूफी संत कश्मीर में आकर भाईचारे और अमन का संदेश देते थे।
डा शाहिद ने कहा कि जो मौजूदा हालात बने हुये हैं उन्हें देखते हुये लगता है कि सूफीवाद ही एकमात्र रासता है जो भाईचारा और अमन कायम कर सकता है।
जामिया मस्जिद के इमाम ने कहा कि कश्मीर में सूफीवाद सिर्फ किताबों में रह गया है। उन्होंने कहा कि हमे जमीनी स्तर पर सूफीवाद की शिक्षा को अपनाने की आवश्यकता है।