जम्मू में गुड़ इकाइयों की स्थापना, गन्ना उत्पादकों के दिन फिरने के आसार

Edited By Monika Jamwal,Updated: 04 May, 2020 06:19 PM

sugarcane farmers of jammu will be get benefits soon

कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी ने कृषि सैक्टर को बुरी तरह से प्रभावित किया है। जम्मू के गन्ने उगाने वाले किसानों की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। जम्मू के गन्ना उत्पादकों में एक हल्की उम्मीद की किरण नजर आने लगी है क्योंकि जिले के मढ़ क्षेत्र...

जम्मू (कमल) : कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी ने कृषि सैक्टर को बुरी तरह से प्रभावित किया है। जम्मू के गन्ने उगाने वाले किसानों की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। जम्मू के गन्ना उत्पादकों में एक हल्की उम्मीद की किरण नजर आने लगी है क्योंकि जिले के मढ़ क्षेत्र में गुड़ इकाइयों की स्थापना को लेकर कवायद शुरू हो चुकी है। फूड इंजीनियरिंग एंड प्रोसैसिंग डिपार्टमैंट लुधियाना ने जम्मू के किसानों को नि:शुल्क तकनीकी देने का वादा किया है। अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित सरकार की तरफ से कदम उठाए जाने का इंतजार है। \PunjabKesari

 

 

जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के किसान केंद्र से कृषि क्षेत्रों के उत्थान में ढेरों उम्मीदें लगाए बैठे है क्योंकि पूर्व में समय-समय की सरकारों ने हमेशा से कृषि और किसानों की अनदेखी की है। जम्मू और कश्मीर में प्रकृति की मार झेल रहे किसानों को कृषि सैक्टर से उतना फायदा नहीं मिल रहा। कृषि माहिरों के अनुसार गन्ना एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है। विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती इन्ही विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपने आप में सुरक्षित व लाभ की खेती है।PunjabKesari


जम्मू जिले के झिड़ी बैल्ट गन्ने की खेती के लिए अनुकूल है। पूरे क्षेत्र में गन्ने की अच्छी फसल होती है। यहां के किसानों की चिंता सिर्फ इस बात की है हर साल गर्मियों में अन्य प्रदेशों जैसे पंजाब और हरियाणा से सस्ते गन्ने की आवक होती है तो उनकी फसल का वाजिब मूल्य मिल पाता। सीजन के दौरान स्थानीय किसानों को घाटा उठाना पड़ता है। हर साल हार बार उन्हें नुकसान होता है लेकिन भरपाई के लिए सरकार की मदद नहीं मिलती। इस लिए अब इस क्षेत्र में गुड के लिए यूनिटों की स्थापना बहुत जरूरी है। इसके माध्यम से किसान बच सकता है। इन किसानों ने अब उपराज्यपाल प्रशासन से मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश की है ताकि झिड़ी क्षेत्र की पारंपरिक गन्ने की खेती को बचाया जा सके और किसानों को इस फसल से मुनाफा मिल सके। गौरतलब है कि पूरे में तकरीबन 6-7 हजार कनाल भूमि पर गन्ने की फसल उगाई जाती है। इसके अलावा संभाग के कई जिलों में भी गन्ने की खेती की जाती है। 

 

PunjabKesariकिसान संगठन ने सलाहकार को बाबा जित्तो देव स्थान के समीप यूनिटें लगाने का दिया सुझाव
गन्ने की प्रौसेसिंग के लिए स्थानीय किसानों के संगठनें भी काफी प्रयासरत है। गत दिवस उप राज्यपाल के सलाहकार के.के. शर्मा मढ़ क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे हुए थे। उन्होंने गन्ना उत्पादकों से भी बातचीत की थी। जम्मू एंड कश्मीर किसान काऊंसिल के अध्यक्ष तजिन्दर सिंह वजीर ने उपराज्यपाल के सलाहकार को गुड यूनिट स्थापित करने के लिए एक मांगपत्र सौंपा था जिसमें उन्होंने बताया कि जम्मू में गन्ना उत्पादन बहुत ज्यादा है लेकिन इस वक्त कोविड-19 के कारण फसल काफी प्रभावित हो गई। गर्मियों के दौरान लगने वाले जूस की रेहडिय़ों पर सबसे अधिक गन्ने की खपत होती है। उन्होंने बताया कि जम्मू में चीनी की मील की गैरमौजूदगी में किसानों को अधिक फायदा नहीं मिल पाता है जितना कि पंजाब और हरियाणा में किसानों को मिलता है। इस लिए गुड बनाने इकाईयां एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। उन्होंने सलाहकार को अवगत कराया कि फूड इंजीनियरिंग एंड प्रोसैसिंग डिपार्टमैंट लुधियाना से बातचीत हो चुकी है। जो निशुल्क किसानों को टैक्नोलाजी देने को तैयार हैं। इसलिए यू.टी. प्रशासन जल्द से जल्द गुड़ की यूनिट लगाकर किसानों को मुक्ति दिलाए क्योंकि सर्दियों के दौरान गन्ने के रेट बहुत कम हो जाते हैं। उन्होंने सलाहकार को बताया कि झिड़ी में विश्वप्रसिद्ध बाबा जित्तो की देव अस्थान है, जिसके चलते देवस्थान के निकट गुड की यूनिटें लगाई जाए। इससे जम्मू के किसानों को एक बहुत बड़ी राहत मिलेगी। 

 

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