Edited By vasudha,Updated: 20 Jun, 2020 01:54 PM
दशक का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण रविवार को लगेगा और ‘यह रिंग ऑफ फायर'' की तरह नजर आएगा जिसे देखने के लिए लोगों में काफी उत्साह है। प्लैनेटरी सोसायटी ऑफ इंडिया (पीएसआई) के निदेशक एनरघुनंदन कुमार ने बताया कि पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय लगता है जब सूर्य और...
नेशनल डेस्क: दशक का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण रविवार को लगेगा और ‘यह रिंग ऑफ फायर' की तरह नजर आएगा जिसे देखने के लिए लोगों में काफी उत्साह है। प्लैनेटरी सोसायटी ऑफ इंडिया (पीएसआई) के निदेशक एनरघुनंदन कुमार ने बताया कि पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय लगता है जब सूर्य और चंद्रमा का एक- दूसरे का एक दूसरे से सामना होता है लेकिन चंद्रमा का आकार तुलनात्मक रूप से छोटा होने के कारण सूर्य एक चमकती हुई अंगूठी की तरह नजर आता है।
कुमार के अनुसार पूर्ण सूर्य ग्रहण केवल उत्तरी भारत के कुछ जगहों पर ही दिखेगा जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह आंशिक रूप से नजर आएगा। भारत में विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग समय पर सूर्य ग्रहण सुबह 9.56 बजे से लेकर दोपहर बाद 14.29 बजे तक दिखेगा। अधिकतर स्थानों पर आंशिक सूर्यग्रहण ही दिखेगा। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण विश्व में अफ्रीका (पश्चिमी और दक्षिण हिस्सों को छोड़कर), दक्षिण-पूर्व यूरोप, मध्य-पूर्व, एशिया (उत्तरी और पूर्वी रूस को छोड़कर) और इंडोनेशिया में दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण सबसे पहले अफ्रीकी देश कांगो में दिखाई देगा। भारत के सूरतगढ़ (राजस्थान), सिरसा, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) और उत्तराखंड के देहरादून, चमोली एवं जोशीमठ में लोगां को पूर्ण सूर्य ग्रहण (रिंग ऑफ फॉयर के जैसा) देखने का अवसर मिलेगा। भारत के बाद चीन, ताइवान और प्रशांत महासागर क्षेत्र से सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। भारत में द्वारका के लोग सबसे पहले (सुबह 9.56 बजे) सूर्य ग्रहण देख सकेंगे। देश में सबसे अंत में ( दोपहर बाद 14.29 बजे ) सूर्य ग्रहण असम के डिब्रूगढ़ में नजर आएगा।
कुमार ने कहा कि तमिलनाडु के कन्याकुमारी में सूर्य ग्रहण सबसे पहले (दोपहर बाद 1.15 बजे) समाप्त हो जाएगा। पीएसआई निदेशक ने कहा कि सूर्य ग्रहण के मद्देनजर गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार अथवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से कोई स्वास्थ्य अलटर् जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं पर अधंविश्वास के कारण कई सारे प्रतिबंध लगा दिये जाते हैं। अंधविश्वास के कारण कई सारी चिकित्सा स्थिति को गलत तरीके से सूर्य ग्रहण से जोड़ दिया गया है।