Edited By shukdev,Updated: 04 Sep, 2018 09:06 PM
कांग्रेस पर राजनीतिक अवसरवादिता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि संप्रग शासनकाल के दौरान सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ‘नक्सलियों के लिए समर्थन का आधार’ थी...
नई दिल्ली: कांग्रेस पर राजनीतिक अवसरवादिता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि संप्रग शासनकाल के दौरान सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ‘नक्सलियों के लिए समर्थन का आधार’ थी और पार्टी के कुछ नेताओं ने नक्सलवाद का ‘महिमामंडन’ किया। कांग्रेस के खिलाफ आरोपों की बौछार करते हुए भाजपा ने ‘नक्सलियों से संबंध’ रखने वाले लोगों को दिग्विजय सिंह एवं जयराम रमेश जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के कथित समर्थन पर भी सवाल उठाए।
भाजपा के इन आरोपों पर कांग्रेस ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में ‘माओवाद और नक्सलवाद को मुख्यधारा में लाने’ की कोशिश की और इसलिए पार्टी को अपना नाम ‘कांग्रेस माओवादी पार्टी’ या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (माओवादी) रख लेना चाहिए। एक ‘कॉमरेड’ की ओर से दूसरे ‘कॉमरेड’ को कथित तौर पर लिया गया एक पत्र दिखाते हुए पात्रा ने कहा कि इसमें लिखा गया है कि कांग्रेस उनकी गतिविधियों के लिए पैसा देने के लिए तैयार है और इस बाबत मदद के लिए दिग्विजय सिंह से संपर्क किया जा रहा है।
पात्रा ने पत्रकारों को बताया, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व का विषय है और सिर्फ राजनीतिक अवसरवादिता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ ऐसी चीज है जो कांग्रेस करती रही है।’ उन्होंने दावा किया कि ‘कॉमरेड सुरेंद्र’ ने ‘कॉमरेड प्रकाश’ को 25 सितंबर को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस के नेता इस प्रक्रिया में मदद और पैसे देने के लिए तैयार हैं। उनहोंने आरोप लगाया कि इसमें दिग्विजय सिंह का फोन नंबर है, जो ‘राहुल गांधी के गुरु’ हैं।