कावेरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की स्कीम को दी मंजूरी

Edited By Seema Sharma,Updated: 18 May, 2018 03:17 PM

supreme court approves the center s scheme in kaveri case

सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी के तट पर स्थित दक्षिण भारत के चार राज्यों के बीच सुगम तरीके से जल बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए कावेरी प्रबंधन योजना संबंधी केन्द्र सरकार के मसौदे को आज मंजूरी दे दी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी के तट पर स्थित दक्षिण भारत के चार राज्यों के बीच सुगम तरीके से जल बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए कावेरी प्रबंधन योजना संबंधी केन्द्र सरकार के मसौदे को आज मंजूरी दे दी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और धनन्जय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस योजना के बारे में कर्नाटक और केरल सरकार के सुझावों को ठोस वजह के अभाव में अस्वीकार कर दिया।
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पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के 16 फरवरी के फैसले में संशोधित कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अवार्ड को कावेरी प्रबंधन योजना को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाना होगा। पीठ ने कावेरी प्रबंधन योजना तैयार करने में विफल रहने के कारण केन्द्र के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये तमिलनाडु सरकार की अर्जी भी खारिज कर दी।
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भाजपा और कांग्रेस-जद ( स ) के बीच चल रहे राजनीतिक संघर्ष से जूझ रहे कर्नाटक ने इससे पहले कावेरी प्रबंधन योजना के मसौदे को अंतिम रूप देने के प्रयास में बाधा डालने का असफल प्रयास किया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि वह यह देखेगा कि यह योजना सिर्फ न्यायालय के फैसले के संदर्भ में ही हो। इससे पहले न्यायालय ने इस योजना में समय समय पर निर्देश देने का अधिकार केन्द्र को देने संबंधी प्रावधान पर आपत्ति की थी। इसके बाद यह प्रावधान केन्द्र ने हटा दिया था।  शीर्ष अदालत ने 16 फरवरी के फैसले में केन्द्र से कहा था कि वह छह सप्ताह के भीतर कावेरी प्रबंधन योजना बनाए, जिसमें कावेरी प्रबंधन बोर्ड भी शामिल होगा, जिसके मुताबिक चारों राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी को कावेरी जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
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बता दें कि इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि कर्नाटक चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों के व्यस्त रहने की वजह से योजना के मसौदे को मंजूरी देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक नहीं हो सकी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह पूरी तरह से उसके निर्णय की अवमानना है।

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