Edited By Anil dev,Updated: 19 Jun, 2018 12:47 PM
उच्चतम न्यायालय ने आज उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों के धरने को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। केजरीवाल और उनके मंत्री 11 जून की शाम...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों के धरने को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। केजरीवाल और उनके मंत्री 11 जून की शाम से उप राज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि बैजल आईएएस अधिकारियों को अपनी ‘हड़ताल’ खत्म करने और कामकाज ठप करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दें।
22 जून को होगी सुनवाई
न्यायमूर्ति एसए नजीर और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि याचिका को सुनवाई के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। याचिकाकर्ता हरिनाथ राम की ओर से पेश अधिवक्ता शशांक सुधी ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि एलजी कार्यालय में मुख्यमंत्री के असंवैधानिक और गैरकानूनी प्रदर्शन के कारण संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। इससे लोग भी परेशान हो रहे हैं। सुधी ने कहा कि इन मुद्दों पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कल सुनवाई की थी। अब इस पर 22 जून को आगे सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि शहर मे ‘‘आपात स्थिति’’ जैसे हालात बने हुए हैं, जिसमें नागरिक गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं। पीठ ने तत्काल सुनवाई की मांग को ठुकारते हुए कहा, ‘‘ अदालत के फिर से खुलने के बाद हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।’’
उच्च न्यायालय ने जताई थी केजरीवाल के धरने पर नाराजगी
याचिका में धरने को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है। मुख्यमंत्री का दावा है कि आईएएस अधिकारी हड़ताल पर हैं, लेकिन एलजी कार्यालय का कहना है कि वह काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री या उप राज्यपाल कार्यालय, दोनों में से कोई एक झूठ बोल रहा है, ऐसे में उनमें से किसी एक के खिलाफ गलत जानकारी के लिए कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने एलजी कार्यालय में केजरीवाल के धरने पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने केजरीवाल के नेतृत्व में चल रहे इस धरने को एक तरह से अस्वीकार करते हुए आप सरकार से सवाल किया कि इस तरह के विरोध के लिए उन्हें किसने अधिकृत किया।