Edited By vasudha,Updated: 06 Mar, 2019 04:21 PM
सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि राफेल विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी किये गये हैं और याचिकाकर्ता इन दस्तावेजों के आधार पर विमानों की खरीद के खिलाफ याचिकायें रद्द करने के फैसले पर पुनर्पिवचार चाहते हैं...
नेशनल डेस्क: राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस हुई। सरकार की ओर से पेश अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस मामले में कोर्ट को संयम बरतने को कहा। वहीं प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने उन्हे कड़ी फटकार भी लगाई। अब कोर्ट इस मामले में 14 मार्च को सुनवाई करेगा।
कोर्ट इस मामले में बरते संयम: सरकार
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोर्ट के बयान का विपक्ष राजनीतिक इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए मैं कोर्ट से अपील करता हूं कि कोर्ट को इस मामले में संयम बरतना चाहिए। रक्षा खरीद की न्यायिक जांच नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है। यद्यपि 1960 के दशक वाले मिग-21 ने एफ-16 के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है। वहीं इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि राफेल विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी किये गये हैं और याचिकाकर्ता इन दस्तावेजों के आधार पर विमानों की खरीद के खिलाफ याचिकायें रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार चाहते हैं।
अटार्नी जनरल ने ‘द हिन्दू’ के लेख का किया विरोध
पुर्निवचार याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत में जब राफेल सौदे के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया तो केन्द्र ने महत्वपूर्ण तथ्यों को उससे छुपाया था। प्रशांत भूषण ने जब वरिष्ठ पत्रकार एन राम के एक लेख का हवाला दिया तो अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि यह लेख चोरी किये गये दस्तावेजों पर आधारित हैं और इस मामले की जांच जारी है। वेणुगोपाल ने कहा कि इस वरिष्ठ पत्रकार का पहला लेख छह फरवरी को ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित हुआ और बुधवार के संस्करण में भी एक खबर है जिसका मकसद न्यायालय की कार्यवाही को प्रभावित करना है और यह न्यायालय की अवमानना के समान है।
छुपाए गए राफेल सौदे के महत्वपूर्ण तथ्य: भूषण
वेणुगोपाल ने पुर्निवचार याचिकाओं को खारिज करने और ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित लेखों के आधार पर प्रशांत भूषण द्वारा बहस करने पर आपत्ति की तो पीठ ने केन्द्र से जानना चाहा कि जब वह आरोप लगा रही है कि ये लेख चोरी की सामग्री पर आधारित हैं तो उसने इसमें क्या किया है? सिन्हा, शौरी और स्वंय अपनी ओर से बहस शुरू करते हुये भूषण ने कहा कि राफेल सौदे के महत्वपूर्ण तथ्यों को उस समय छुपाया गया जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और इसकी जांच के लिये याचिका दायर की गयी थी। उन्होंने कहा कि अगर इन तथ्यों को न्यायालय से छुपाया नहीं गया होता तो निश्चित ही शीर्ष अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करके जांच कराने के लिये दायर याचिका रद्द नहीं की होती।
पीठ ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण जिन दस्तावेजों को अपना आधार बना रहे हैं, उन्हें रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया है और इस मामले में जांच जारी है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भूषण को सुनने का मतलब यह नहीं है कि शीर्ष अदालत राफेल सौदे के दस्तावेजों को रिकार्ड पर ले रही है। उन्होंने वेणुगोपाल से जानना चाहा कि इस सौदे से संबंधित दस्तावेज चोरी होने के बाद सरकार ने क्या कार्रवाई की। अटार्नी जनरल ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जिन दस्तावेजों को अपना आधार बनाया है, उन पर गोपनीय और वर्गीकृत लिखा था और इसलिए यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है। वेणुगोपाल ने पुर्निवचार याचिकाओं और गलत बयानी के लिये दायर आवेदन रद्द करने का अनुरोध किया क्योंकि इनका आधार चोरी के दस्तावेज है।