Edited By ,Updated: 09 May, 2016 12:10 PM
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर ने एक बार फिर मांग उठाई है कि लंबित पड़े मामलों के निपटारे के लिए देश को 70 हजार से ज्यादा न्यायाधीशों की जरूरत है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर ने एक बार फिर मांग उठाई है कि लंबित पड़े मामलों के निपटारे के लिए देश को 70 हजार से ज्यादा न्यायाधीशों की जरूरत है। चीफ जस्टिस ठाकुर ने देश में न्यायाधीशों और आबादी के बीच के अनुपात के कम रहने पर चिंता जताते हुए कहा कि न्याय तक पहुंच एक मौलिक अधिकार है और सरकारें लोगों को इससे वंचित नहीं कर सकतीं। बता दें कि हाल ही के दिनों में नई दिल्ली में एक सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में चीफ जस्टिस लंबित मामलों की संख्या के मुद्दे को लेकर भावुक हो गए थे और उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।
अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 3.14 करोड़ तक पहुंच गई है। चीफ जस्टिस ने यहां उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ के शताब्दी समारोहों के मौके पर जाने-माने कानून विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए खाली पदों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि अगर हम आबादी में वद्धि पर गौर करें तो हमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए 70 हजार से ज्यादा न्यायाधीशों की जरूरत हो सकती है।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि एक ओर हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि न्यायाधीशों की नियुक्ति जल्दी हो लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़ी मशीनरी काफी धीमी गति से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए करीब 170 प्रस्ताव अभी सरकार के पास लंबित हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला हाल ही में प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाया गया और यह अनुरोध किया गया कि नियुक्तियां जल्दी हों। उन्होंने कहा कि लोगों को न्याय से वंचित नहीं रखा जा सकता।