कोविड-19 पीड़ितों को मुआवाजा देने के लिए राष्ट्रीय नीति का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज

Edited By Anil dev,Updated: 24 Aug, 2020 03:05 PM

supreme court corona virus compensation

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस बीमारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को समान मुआवजा देने के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी की...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस बीमारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को समान मुआवजा देने के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी की पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रत्येक राज्य की अलग नीति है और वे अपनी आर्थिक ताकत के मुताबिक मुआवजा देते हैं। याचिकाकर्ता हाशिक थाइकांडी की ओर से पेश अधिवक्ता दीपक प्रकाश ने कहा कि वह महज एक राष्ट्रीय नीति बनाने का अनुरोध कर रहे हैं ताकि पूरे देश में समान रूप से मुआवजा दिया जा सके। 

उन्होंने कहा कि कई लोग भारत में कोविड-19 की वजह से मरे हैं और पीड़ितों को समान मुआवजा नहीं मिल रहा है। प्रकाश ने कहा कि कुछ मामलों में, दिल्ली सरकार ने एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जबकि कुछ राज्य एक लाख रुपये दे रहे हैं। मुआवजे पर एक समान नीति नहीं है। पीठ ने कहा कि वह याचिका को खारिज कर रही है जिसके बाद वकील ने इसे वापस लेने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों एवं आवश्यक सेवा के कर्मियों के परिवारों को भी अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए उचित च्च्मुआवजा योजना बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया। 

याचिका में राज्य सरकारों से कोविड-19 संबंधित मौतों की कुल संख्या और कोरोना वायरस महामारी के कारण गई जानों के लिए मुआवजा देने के लिए अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगने की न्यायालय से अपील की गई। इसमें कहा गया कि देश की ज्यादातर आबादी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से है जहां केवल एक व्यक्ति कमाने वाला है और परिवार के दूसरे लोग गुजर-बसर के लिए उसकी आय पर निर्भर रहते हैं। इसमें यह भी दावा किया गया कि कोविड-19 के चलते मृत्यु दर हर घंटे बहुत तेजी से बढ़ रही है। याचिका में कहा गया, अब तक कोविड-19 का कोई इलाज या टीका नहीं है और इसे च्आपदा' घोषित किया गया है, इसलिए यह राज्य का कर्तव्य है कि इस बीमारी से मरने वाले लोगों के परिवारों को अनुकंपा के आधार पर पर्याप्त राहत दी जाए।

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