Edited By vasudha,Updated: 20 May, 2020 10:21 AM
उच्चतम न्यायालय ने विशाखापत्तनम गैस रिसाव त्रासदी मामले की जांच के लिए जस्टिस रेड्डी समिति के गठन के आदेश में दखल देने से फिलहाल इनकार कर दिया। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी. एस. रेड्डी की...
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने विशाखापत्तनम गैस रिसाव त्रासदी मामले की जांच के लिए जस्टिस रेड्डी समिति के गठन के आदेश में दखल देने से फिलहाल इनकार कर दिया। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी. एस. रेड्डी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था, जिसे संबंधित कंपनी ‘एलजी पॉलिमर इंडिया' ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता कंपनी को इस संबंध में अपनी अर्जी एनजीटी के समक्ष दाखिल करने को कहा तथा मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जून की तारीख मुकरर्र की। कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि एनजीटी के आदेशानुसार 50 करोड़ रुपये जमा कराये गये हैं, लेकिन इस मामले की जांच के लिए सात अलग-अलग समितियां बना दी गयी हैं।
रोहतगी ने दलील दी कि एनजीटी समिति ने बिना नोटिस दिए तीन बार कंपनी का दौरा किया, जबकि उसके पास स्वत: संज्ञान लेकर कारर्वाई शुरू करने का क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि पहले ही उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई कर आदेश जारी किए थे। पूर्व एटर्नी जनरल ने दलील दी कि कि केंद्र, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी जांच समितियां बना दी हैं। उन्होंने एनजीटी की जांच समिति पर रोक लगाने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने कहा कि यह मामला पूरी तरह कानूनी है और एनजीटी को पता नहीं होगा कि उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई की है।