Edited By Yaspal,Updated: 18 Dec, 2019 07:16 PM
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि वह नागरिकता संशोधन कानून के बारे में फर्जी खबरों पर अंकुश पाने के लिए इस कानून के विवरण और उद्देश्यों को प्रचारित प्रसारित करने पर विचार करे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि वह नागरिकता संशोधन कानून के बारे में फर्जी खबरों पर अंकुश पाने के लिए इस कानून के विवरण और उद्देश्यों को प्रचारित प्रसारित करने पर विचार करे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का निश्चय करते हुये भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के इस कथन पर भी गौर किया कि वह कानून के खिलाफ नहीं है। किंतु चाहते हैं कि इसके बारे में नागरिकों को जागरूक बनाने का निर्देश केन्द्र को दिया जाये।
उपाध्याय ने दावा किया, ‘‘मैं जामिया और सीलमपुर कल गया था। प्रदर्शनकारियों में से 95 फीसदी को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में जानकारी नहीं थी। वे समझते हैं कि कानून उनकी नागरिकता वापस ले लेगा। शरारती तत्व फर्जी खबरें फैला रहे हैं।'' पीठ ने न्यायालय में उपस्थित अटार्नी जनरल से कहा कि यह अनुरोध थोड़ा हटकर है, लेकिन महत्वपूर्ण है। क्या आपको न्यायालय के आदेश की आवश्यकता है?
केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस कथन से सहमति व्यक्त की और कहा, ‘‘इस न्यायालय के आदेश की आवश्यकता नहीं है। मुझे ऐसा करने में बहुत प्रसन्नता होगी। यह बहुत ही आवश्यक है। इसे लेकर तमाम गलतफहमी हैं।'' इससे पहले, न्यायालय बुधवार को इस कानून के उद्देश्यों और इसके लाभ के बारे में जनता को जागरूक करने और फर्जी खबरों पर अंकुश के लिये केन्द्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकारों को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था।