Edited By vasudha,Updated: 19 Apr, 2018 12:19 PM
उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नौसैना के एक अधिकारी की पांच साल के वेतन को जब्त कर उनकी सेवा बहाल करने का ओदश दिया है। दरअसल अधिकारी अपने सहयोगियों की पत्नियों से अश्लील बातें करना को दोषी पाया गया...
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नौसैना के एक अधिकारी की पांच साल के वेतन को जब्त कर उनकी सेवा बहाल करने का ओदश दिया है। दरअसल अधिकारी अपने सहयोगियों की पत्नियों से अश्लील बातें करना को दोषी पाया गया जिसके बाद कोर्ट ने यह सजा सुनाई। शीर्ष अदालत ने सैन्य बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के आदेश को बरकरार रखा जिसने उसे सात आरोपों में दोषी ठहराया था और निर्देश दिया था कि 24 महीने की वरिष्ठता वापस लेकर उसे बहाल किया जाए।
अधिकारी की याचिका को किया खारिज
शीर्ष अदालत ने अधिकारी की दलील को खारिज किया कि न्यायाधिकरण का निष्कर्ष पूरी तरह से पूर्वाग्रही है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि मामले में न्याय प्रक्रिया पूरी की जाती है। दोषी अधिकारी 26 जनवरी, 2013 से सेवा से दूर है उसकी 24 महीने की वरिष्ठता में भी कटौती की गई है। पीठ ने कहा कि एएफटी के आदेश के खिलाफ दोषी अधिकारी की अपील में उसे राहत दिए जाने का कोई कारण नहीं दिखाई देता।
शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण और कोर्ट मार्शल के इन निष्कर्ष पर सहमति जताई कि अधिकारी ने सिम कार्ड के प्रयोग पर अश्लील बातें कीं जिनके जरिए उसने अधकारियों की पत्नियों को नौसेना टेलीफोन एक्सचेंज के जरिये कॉल किये थे। दोषी अधिकारी एक जनवरी, 1998 को सब लेफ्टिनेंट पद पर नौसेना में तैनात हुआ था। 16 जनवरी, 2011 को उसकी प्रोन्नति कमांडर पद पर हुई और आइएनएस महीश पर कार्यकारी अधिकारी के रूप में पोर्ट ब्लेयर में उसकी तैनाती हुई।