Edited By Anil dev,Updated: 30 Sep, 2019 06:23 PM
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि 2002 के दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रूपए मुआवजा, नौकरी और रहने के लिए आवास प्रदान किया जाए। उस समय वह पांच महीने की गर्भवती थी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि 2002 के दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रूपए मुआवजा, नौकरी और रहने के लिए आवास प्रदान किया जाए। उस समय वह पांच महीने की गर्भवती थी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा , नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया। गुजरात सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रूपए के मुआवजे का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिए आवेदन दायर करेगी।
इस पर पीठ ने मेहता से कहा, क्या हमें अपने आदेश में इसका जिक्र करना चाहिए कि इस मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मुआवजे का आदेश दिया गया है। पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजा, नौकरी और आवास उपलब्ध कराये। सालिसीटर जनरल ने बाद मे न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जाएगा।