Edited By shukdev,Updated: 24 Nov, 2019 01:57 PM
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी दलीलें रखीं। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, कांग्रेस-राकांपा और एनसीपी को नोटिस...
मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार गठन से संबंधित दस्तावेज सोमवार सुबह तक उपलब्ध कराने का केंद्र सरकार को को निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की विशेष पीठ ने रविवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि वह कल सुबह साढ़े 10 बजे तक राज्यपाल की ओर से भाजपा को सरकार गठन के लिए आमंत्रित करने संबंधी पत्र तथा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के पास विधायकों के समर्थन का पत्र उपलब्ध कराए। न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में कल सुबह 10:30 बजे फिर से सुनवाई करेगा और अपना फैसला सुनाएगा।
कोर्ट ने शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस की याचिका पर सभी पक्षों- केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, फडणवीस और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अजित पवार को भी नोटिस जारी किया है। पीठ की ओर से न्यायमूर्ति रमन ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा, ‘‘इस याचिका में यह मुद्दा उठाया गया कि क्या 23 नवंबर को सरकार गठन का राज्यपाल का निर्णय क्या असंवैधानिक है? इस मामले के निपटारे के लिए हम तुषार मेहता से आग्रह करते हैं कि वह दोनों पत्र हमें सोमवार सुबह साढे़ 10 बजे तक उपलब्ध कराए, पहला- राज्यपाल की ओर से सरकार गठन को लेकर दिया गया पत्र और फडणवीस के पास बहुमत का पत्र। वहीं इससे पहले शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल ने शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे का वक्त दिया जबकि भाजपा को 48 घंटे दिए गए।
शिवसेना की तरफ से दलील देते हुए सिब्बल ने कहा कि विधायकों को शपथ ग्रहण समारेह में बुलाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। सिब्बल ने कहा कि देर रात महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया गया जबकि सुबह 8 बजे देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ भी ले ली। सिब्बल ने कहा कि अगर भाजपा को इतना ही घमंड है तो वे आज ही बहुमत साबित करे। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर राज्यपाल की तरफ से कोई चिट्ठी नहीं दी गई। वहीं तुषार मेहता से जस्टिस रमन्ना ने पूछा कि क्या आप महाराष्ट्र के राज्यपाल की तरफ से आए हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं सॉलिटिर जनरल के नाते पेश हुआ हूं। मुकुल रोहतगी ने कहा कि रविवार को सुनवाई की जरूत नहीं थी।
एनसीपी की तरफ पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने समर्थन की चिट्ठी की जांच र्यों नहीं की और कैसे रातोंरात सरकार बनाने का फैसला ले लिया। सिंघवी ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ को लेकर क्या आधार है।