Edited By Anil dev,Updated: 16 Dec, 2019 03:18 PM
उच्चतम न्यायालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई कथित दमनात्मक कारर्वाई की शिकायत को लेकर मंगलवार को सुनवाई करेगा, बशर्ते हिंसा रुके। चीफ जस्टिस ने कहा, ''हम इस मामले पर सुनवाई कल (मंगलवार) करेंगे
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई कथित दमनात्मक कारर्वाई की शिकायत को लेकर मंगलवार को सुनवाई करेगा, बशर्ते हिंसा रुके। चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम इस मामले पर सुनवाई कल (मंगलवार) करेंगे, लेकिन पहले हिंसा रुकनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि छात्र हैं, इसलिए उन्हें हिंसा करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने जामिया और एएमयू में हुई घटना का मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ के समक्ष उल्लेख किया। जयसिंह ने शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्हें इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पूरे देश में हो रहे गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन है। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन दंगों के माहौल में नहीं, इस सब को बंद हो जाने दीजिए और फिर हम इसपर स्वत: संज्ञान लेंगे। हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं। वरिष्ठ वकील कोलीन गोंसाल्विज ने कहा, अदालत के एक सेवानिवृत्त जज को जामिया मामले की जांच करनी चाहिए।
जब एक वकील ने अदालत से कहा कि उनके पास मामले से संबंधित वीडियो हैं तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा,च्च्हम कोई वीडियो नहीं देखना चाहते। यदि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान और हिंसा जारी रहती हो, तो हम इसे नहीं सुनेंगे। उन्होंने कहा, यह मामला हिंसा रुकने के बाद 17 दिसंबर को सुना जाएगा। उन्होंने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह कानून व्यवस्था संभाले। इसके साथ ही सीजेआई ने स्पष्ट तौर पर कहा,अगर किसी भी तरह की हिंसा हुई तो हम फिर आपके लिए कुछ नहीं करेंगे।