Edited By Anil dev,Updated: 09 Jul, 2020 01:37 PM
उच्चतम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं एवं बदहाली को लेकर स्वत: संज्ञान मामले में विस्तृत हलफनामा न दायर करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को गुरुवार को आड़े हाथों लिया और अगले सप्ताह तक फंसे हुए मजदूरों की वास्तविक स्थिति को लेकर विस्तृत ब्योरा...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं एवं बदहाली को लेकर स्वत: संज्ञान मामले में विस्तृत हलफनामा न दायर करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को गुरुवार को आड़े हाथों लिया और अगले सप्ताह तक फंसे हुए मजदूरों की वास्तविक स्थिति को लेकर विस्तृत ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार के रवैये को लेकर गहरी नाराजगी जतायी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि बेहतर होगा कि वह महाराष्ट्र सरकार को समझाएं और अगले सप्ताह तक राज्य वापस लौटने का इंतजार कर रहे मजदूरों की विस्तृत जानकारी न्यायालय को उपलब्ध करायें।
न्यायालय ने कहा कि यह किसी सरकार के विरुद्ध कोई मुकदमा नहीं है और गड़बड़यिों की जानकारी उपलब्ध कराना तथा उसे ठीक करने का प्रयास करना राज्य सरकार का दायित्व होता है। न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि यह महाराष्ट्र सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह विस्तृत हलफनामा दायर करके न्यायालय को प्रवासी मजदूरों से संबंधित वास्तविक मुद्दों से अवगत करायें। न्यायालय ने इसके बाद मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार (17 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों की बदहाली को लेकर कानूनविदों और न्यायविदों की ओर से आवाज उठाये जाने के बाद न्यायालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और पिछले माह सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे 15 दिनों के भीतर अपने यहां फंसे मजदूरों को अपने इच्छित स्थानों पर भेजेंगे और इसके लिए कोई किराया नहीं लिया जाएगा। न्यायालय ने कई अन्य दिशानिर्देश भी दिये थे।