INX Media: कार्ति चिदंबरम को हाईकोर्ट से मिली बेल पर हस्तक्षेप नहीं करेगा SC

Edited By Anil dev,Updated: 03 Aug, 2018 03:27 PM

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उच्चतम न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति को आईएनएक्स मीडिया में कथित वित्तीय अनियमितताओं के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से आज इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए के सीकरी तथा न्यायमूर्ति...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति को आईएनएक्स मीडिया में कथित वित्तीय अनियमितताओं के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से आज इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए के सीकरी तथा न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि जब स्वतंत्रता का सवाल होता है तो अदालतें ऐसी स्थिति में तकनीकी पहलू में नहीं जातीं। पीठ ने कहा कि वह कार्ति को मिली जमानत में हस्तक्षेप नहीं कर रही लेकिन कानून का यह प्रश्न विचार के लिये खुला जरूर रख रही है कि क्या निचली अदालत में जमानत के लिए आवेदन लंबित रहने के बावजूद आवेदक उच्च न्यायालय का रूख कर सकता है। सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सवाल खुला रखा जाना चाहिए क्योंकि उच्च न्यायालय के समवर्ती अधिकार क्षेत्र के अधिकारों का आह्वान करना ‘‘फोरम शॉपिंग’’ का मामला हो सकता है।  ‘‘फोरम शॉपिंग’’ का मतलब अपने मामले की सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता द्वारा राहत के लिए अलग अलग मंच पर जाना है।

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 याचिककर्ता मानता है कि चयनित फोरम से उसे वह फैसला मिल सकता है जो वह चाहता है। ‘‘फोरम शॉपिंग’’ तब संभव होता है जब कई अदालतों के पास याचिकाकर्ता के दावे को लेकर समवर्ती अधिकार क्षेत्र होता है। कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पहले से ही इस बारे में एक फैसला है जिसमें उच्च न्यायालय के समवर्ती अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। सीबीआई ने 25 जून को उच्चतम न्यायालय में, कार्ति को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। जांच एजेंसी ने अपनी अपील में तर्क दिया कि कार्ति की जमानत की अपील निचली अदालत में लंबित है और ऐसे में उसके जमानत संबंधी आवेदन पर विचार करने की अनुमति कानून उच्च न्यायालय को नहीं देता। 

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उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ ने 23 मार्च को काॢत को जमानत दी थी। तब पीठ ने कहा था कि जब तक ‘‘कठोरतम दंड’’ वाला ‘‘अत्यधिक गंभीर’’ अपराध नहीं हो तब तक राहत से इंकार नहीं किया जाना चाहिए। सीबीआई ने कार्ति को 28 फरवरी को चेन्नई से गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी पिछले साल 15 मई को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की गई थी। इस प्राथमिकी में कार्ति पर वर्ष 2007 में विदेशों से करीब 305 करोड़ रूपये का कोष हासिल करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को ‘‘फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड’’ (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति , दोनों ने ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लगाए गए आरोपों से इंकार किया है। शुरू में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कार्ति ने आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने में सुगमता के लिए 10 लाख रूपये की रिश्वत ली थी। बाद में यह राशि दस लाख अमेरिकी डॉलर बताई गई।      

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