लवजिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 09:05 PM

supreme court remarks in lovejahad case rights

लवजिहाद मामले पर गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनावाई हुई। कोर्ट ने मामले पर बोलते हुए कहा कि अब कोर्ट तय नहीं करेगा कि शादी सही व्यक्ति से हुई या नहीं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि व्यक्ति के चुनाव पर सजा नहीं दी जा सकती। ये सब बातें सुप्रीम...

नई दिल्ली: लवजिहाद मामले पर गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनावाई हुई। कोर्ट ने मामले पर बोलते हुए कहा कि अब कोर्ट तय नहीं करेगा कि शादी सही व्यक्ति से हुई या नहीं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि व्यक्ति के चुनाव पर सजा नहीं दी जा सकती। ये सब बातें सुप्रीम कोर्ट ने केरल के लवजिहाद मामले पर सुनावाई के दौरान कहीं।

कोर्ट नहीं करेगा तय
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट का काम नहीं है कि वह किसी व्यक्ति के चुनाव को लेकर चर्चा करे। पीठ ने कहा कि यह शादी का फैसला उसके हित में है या फिर नहीं यह हम तय नहीं करेंगे। आपको बता दें कि केरल की 25 वर्षीय हदिया ने धर्म परिवर्तन करने के बाद एक मुस्लिम युवक से शादी की।

हालांकि केरल हाईकोर्ट ने शादी को लवजिहाद का मामला बताकर इस शादी को रद्द कर दिया था। वहीं हदिया के परिजनों के वकील श्याम दीवान कने अपनी बात रखते हुए हाईकोर्ट के उस आदेश को सही बताया। दीवान के बयान पर कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों की आपसी सहमति से हुई शादी उसके अधिकार क्षेत्र में कैसे आ सकती है। पीठ ने कहा कि हमने हदिया को बुलाया था और उससे बात की तो उसने बताया कि उसने ये शादी अपनी मर्जी से की है। ऐसे में कोर्ट शादी को कैसे रद्द कर सकता है। कोर्ट ने कहा आप कैसे तय कर सकते हैं कि शादी करने पर उसकी सहमति सहज थी या नहीं।

सुनवाई की अगली तारीख 8 मार्च
श्याम दीवान ने दलील देते हुए कहा कि हाईकोर्ट को सबूत मिले थे कि गलत मंशा से लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसलिए कोर्ट ने अपने आर्टिकल २२६ के तहत अपने अधिकारों का उपयोग कर शादी को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दीवान से पूछा, अगर कोई गलत काम कर रहा है तो कानून उस पर कार्रवाई करेगा और सरकार के पास इसके सबूत हैं कि लोगों को गलत काम के लिए विदेश भेजा जा रहा है। तो सरकार के पास पूरे अधिकार है कि ऐसे लोगों की यात्रा रद्द करे। कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर्सनल लॉ से संबंधित एक रिश्ते पर बात कर रहे हैं। कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि क्या कोर्ट इसमें कह सकता है कि सहमति नहीं थी। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 8 मार्च रखी है

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