LIVE: किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसानों को प्रदर्शन का हक...पर रास्ता जाम न करें

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Dec, 2020 01:53 PM

supreme court said the right to demonstrate to farmers

दिसंबर की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। तीनों नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 22वां दिन है। वहीं गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को धरना प्रदर्शन का हक है...

नेशनल डेस्क: दिसंबर की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। तीनों नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 22वां दिन है। वहीं गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को धरना प्रदर्शन का हक है लेकिन रास्ता जाम न किया जाए ताकि आम लोगों को परेशानी न हो। बता दें कि किसान सरकार को दो टूक जवाब दे चुके हैं कि जब तक कानून वापिस नहीं लिया जाएगा तब तक वे बॉर्डर से नहीं हटेंगे। वहीं सरकार किसानों को मनाने की हर कोशिश कर चुकी है। किसान आंदोलन से जुड़े हर अपडेट की जानकरी के लिए जुड़े रहे punjabkesari.in के साथ...

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क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि किसानों को प्रदर्शन का हक है, लेकिन दूसरे लोगों के अधिकारों का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रदर्शन के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते हैं। हम प्रदर्शन के विरोध में नहीं हैं लेकिन बातचीत भी होनी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुधवार को हमने किसानों से बातचीत के लिए एक समिति बनाने की बात कही थी। इस समिति में कृषि विशेषज्ञ भी होने जरूरी हैं ताकि सरकार जो कानून लाई है उस पर बारीकी से चर्चा हो। वहीं अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि किसान संगठन जिद्द पर अड़े हुए हैं। बॉर्डर बंद कर रखे हैं। कोरोना संकट के बीच मास्क के बिना घूम रहे हैं, प्रधर्शन कर रहे है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसान लंबी तैयारी के साथ बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बातचीत से हल निकलेगा। किसान बातचीत करें। हरीश साल्वे ने कहा कि इस प्रदर्शन से दिल्लीवासी प्रभावित हो रहे हैं। ट्रांसपोर्ट पर असर के कारण सामान के दाम बढ़ रहे हैं। साल्वे ने कहा कि प्रदर्शन के अधिकार का मतलब यह नहीं कि शहर बंद कर दिया जाए।

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कोर्ट ने जिन किसान यूनियनों को नोटिस जारी किए हैं

  • भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-राकेश टिकैत)
  • बीकेयू-सिदधुपुर (जगजीत एस दल्लेवाल)
  • बीकेयू-राजेवाल (बलबीर सिंह राजेवाल)
  • बीकेयू-लाखोवाल (हरिन्दर सिंह लाखोवाल) 
  • जम्हूरी किसान सभा (कुलवंत सिंह संधू)
  • बीकेयू डकौंदा (बूटा सिंह बुर्जगिल)
  • बीकेयू-दोआबा (मंजीत सिंह राय)
  • कुल हिंद किसान फेडरेशन (प्रेम सिंह भंगू) शामिल हैं। 

इस मामले में कई याचिकायें दायर की गई हैं, जिनमें दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिए कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें कहा गया है कि इन किसानों ने दिल्ली-NCR की सीमाएं अवरूद्ध कर रखी हैं, जिसकी वजह से आने जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से covid-19 के मामलों में वृद्धि का भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केन्द्र और अन्य को भी नोटिस जारी किए। 

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सिंघू बॉर्डर पर सिख संत ने की खुदकुशी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिख संत राम सिंह की मौत पर दुख व्यक्त किया है, जिन्होंने किसानों के दर्द से व्यथित होकर बुधवार को सिंघू बॉर्डर के नजदीक कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। करनाल जिले के निसिंग इलाके के सिंघरा गांव के रहने वाले संत राम सिंह (65) ने कथित तौर पर खुद को गोली मारकर खुदकुशी की। केजरीवाल ने ट्वीट किया, “संत बाबा राम सिंह जी की आत्महत्या की ख़बर बेहद पीड़ादाई है। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं। हमारा किसान अपना हक़ ही तो मांग रहा है, सरकार को किसानों की आवाज़ सुननी चाहिए और तीनों काले कानून वापस लेने चाहिए।” पुलिस के मुताबिक, मृतक ने कथित रूप से पंजाबी में हाथ से लिखा एक नोट भी छोड़ा है, जिसमें कहा गया है कि वह ''किसानों का दर्द'' सहन नहीं कर पा रहा है।
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