SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को झटका

Edited By vasudha,Updated: 03 May, 2018 05:55 PM

supreme court says should be investigated if needed on sc st act

सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/ एसटी एक्‍ट में संशोधन को लेकर दिए आदेश को सही बताया। कोर्ट ने कहा कि अगर जांच में जरूरत हो तो गिरफ्तारी की जाए...

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति कानून संबंधी मामले को लेकर केंद्र सरकार को झटका दिया हैै। कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर जांच में जरूरत हो तो गिरफ्तारी की जाए। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस मामले में न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ऐसे नियम या दिशानिर्देश नहीं बना सकती जो विधायिका द्वारा पारित कानून के विपरीत हों।  

कोर्ट ने अपने फैसले को ठहराया उचित 
वेणुगोपाल ने अनुसूचित जाति - जनजाति कानून से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हुये कहा कि इस व्यवस्था की वजह से जानमाल का नुकसान हुआ है। पीठ ने अपने 20 मार्च के फैसले को न्यायोचित ठहराते हुये कहा कि अनुसूचित जाति - जनजाति कानून पर अपनी व्यवस्था के बारे में निर्णय करते समय शीर्ष अदालत ने किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी पहलुओं और फैसलों पर विचार किया था। पीठ ने कहा कि वह सौ फीसदी इन समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने और उनपर अत्याचार के दोषी व्यक्तियों को दंडित करने के पक्ष में है।  

केन्द्र की पुर्निवचार याचिका पर हुई सुनवाई
केन्द्र ने अनुसूचित जाति-जनजाति ( अत्याचारों की रोकथाम ) कानून, 1989 के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधानों में कुछ सुरक्षात्मक उपाय करने के शीर्ष अदालत के 20 मार्च के फैसले पर पुर्निवचार के लिये दो अप्रैल को न्यायालय में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने 27 अप्रैल को केन्द्र की पुर्निवचार याचिका पर सुनवाई करने का निश्चय किया था परंतु उसने स्पष्ट कर दिया था कि वह इस मामले में और किसी याचिका पर विचार नहीं करेगी। यही नहीं न्यायालय ने केन्द्र की पुर्निवचार याचिका पर फैसला होने तक 20 मार्च के अपने निर्णय को स्थगित रखने से इंकार कर दिया था। इस फैसले के बाद अनुसूचित जाति और जनजातियों के अनेक संगठनों ने देश में दो अप्रैल को भारत बंद का आयोजन किया था जिसमें आठ व्यक्तियों की जान चली गयी थी।      

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