हम 'आदमखोर शेर' नहीं, जिससे डर रही राज्य सरकार : सुप्रीम कोर्ट

Edited By vasudha,Updated: 22 Sep, 2018 11:49 AM

supreme court says we are not lion

उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों से कहा कि लंबित मामलों को लेकर डरना नहीं चाहिए। हम कोई 'नरभक्षी शेर' नहीं हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश के अवैध खनन के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की...

नेशनल डेस्क:  उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों से कहा कि लंबित मामलों को लेकर डरना नहीं चाहिए। हम कोई 'नरभक्षी शेर' नहीं हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश के अवैध खनन के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
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अवैध खनन की याचिका पर की सुनवाई
दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में ट्रिमेक्स समूह द्वारा किए जाने वाले खनन के काम पर रोक लगा दी थी। इस पर निजी कंपनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी के खिलाफ अवैध खनन की याचिका आंध्र प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि यह मामला अवैध खनन का नहीं था, बल्कि राज्य सरकार ने ऐसा निर्णय सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के कारण लिया था। 

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राज्य सरकार नहीं इतनी कमजोर 
जब रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार का यह आदेश अभियोजकों की सफलता है, तो बेंच ने कहा कि राज्य सरकार इतनी कमजोर नहीं है कि एक या दो लोग उसे मजबूर कर सकें। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 सितंबर तक टाल दी। 

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SC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब 
शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश में कंपनी द्वारा गैरकानूनी तरीके से खनन के आरोपों की कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल या सीबीआई से जांच के लिए दायर याचिका पर 9 जुलाई को केंद्र, आंध्र प्रदेश और कंपनी से जवाब मांगा था। केंद्र सरकार के पूर्व सचिव सरमा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि यह समूह खनन और विभिन्न प्रकार के खनिजों के निर्यात सहित कई गैरकानूनी और अवैध गतिविधियों में संलिप्त है।

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