रोहिंग्यायों को वापस भेजने पर SC ने मांगा केंद्र सरकार से जवाब, 16 मार्च को होगी सुनवाई

Edited By Pardeep,Updated: 10 Jan, 2020 11:23 PM

supreme court seeks response from central government on sending rohingyas back

रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार निर्वासित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने की मांग वाली भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह...

नई दिल्लीः रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार निर्वासित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने की मांग वाली भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया। वहीं, रोहिंग्या मुसलमानों की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने निर्वासन को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के खिलाफ बताया।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भूषण ने आग्रह किया कि कानून के समक्ष रोहिंग्याओं की स्थिति अन्य नागरिकों के बराबर होने की बात सुनिश्चित की जाए। उन्हें भी न्यायिक उपचार का समान अधिकार दिया जाए। भूषण ने इस मामले को जल्द निपटाने की गुहार करते हुए कहा कि अगर इसका जल्द निपटारा हो जाएगा तो नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भी स्पष्टता आ जाएगी।

वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि घुसपैठियों को भारत में रहने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। इस मामले में पूर्व आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य की ओर से पेश वकील विराग गुप्ता ने भी कहा कि म्यांमार रोहिंग्याओं को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में रोहिंग्या यह दावा नहीं कर सकते कि म्यांमार में उनसे उत्पीड़न होता है। केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह तमाम याचिकाओं पर एक साथ जवाब देंगे। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 16 मार्च तक के लिए टाल दी।

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