Edited By Yaspal,Updated: 28 May, 2018 07:55 PM
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर आन्दोलन करने वाली कार्यकर्ता तृप्ति देसाई की एससी/एसटी कानून से संबंधित मामले में गिरफ्तारी पर सोमवार को रोक लगा दी।
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर आन्दोलन करने वाली कार्यकर्ता तृप्ति देसाई की एससी/एसटी कानून से संबंधित मामले में गिरफ्तारी पर सोमवार को रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए तृप्ति देसाई की याचिका अस्वीकार करने के बंबई हाईकोर्ट के 23 अप्रैल के आदेश के खिलाफ इस याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही तृप्ति देसाई की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने इस मामले में तृप्ति और अन्य को अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि वह इस समय आरोपों की सच्चाई या उनके झूठे होने पर गौर नहीं करेगा।
बंबई होईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था, ‘‘एक बार इस शिकायत का इसकी पूर्णतया, विशेषकर इस कानून के प्रावधानों और धारा 18 की पृष्ठभूमि में इसका अवलोकन किया गया है तो हम इस शिकायत को पूरी तरह गलत नहीं कह सकते हैं।’’ अभियोजन के अनुसार शिकायतकर्ता विजय मकासरे अहमदनगर में अपने घर से मुंबई की ओर जा रहा था तो कार में सवार तृप्ति देसाई और तीन अन्य लोगों ने उसकी गाड़ी रोकी। आरोप है कि इसके बाद उन्होंने उसका सैमसंग मोबाइल फोन, सोने की चेन और 27,000 रूपए कथित रूप से छीन लिए। इसके बाद सभी आरोपियों ने डंडों और लोहे की रॉड से उस पर हमला किया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वह महार समुदाय का है, इसलिए देसाई और अन्य ने उसकी जाति का नाम लेकर उसे गालियां दीं। पुलिस ने इस मामले मे एससी/एसटी (अत्याचार की रोकथाम) कानून के तहत शिकायत दर्ज की है। देसाई का हाईकोर्ट में कहना था कि सरासर झूठी यह शिकायत दस दिन बाद दर्ज कराई गई है। उनका कहना था कि उसके पास यह साबित करने के दस्तावेज हैं कि ईसाई धर्म स्वीकार करने के बाद शिकायतकर्ता एससी/एसटी का सदस्य नहीं है परंतु उच्च न्यायालय ने इस पर विचार करने से इंकार कर दिया।