ताजमहल के रखरखाव पर नाराज सुप्रीम कोर्ट, ASI और केंद्र सरकार को लगाई फटकार

Edited By Anil dev,Updated: 09 May, 2018 02:22 PM

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: उच्चतम न्यायालय ने विश्व धरोहर ताज महल के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने को लेकर आज पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को आड़े हाथ लिया।  न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कीटों से ताजमहल के प्रभावित होने पर चिंता...

 नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने विश्व धरोहर ताज महल के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने को लेकर आज पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को आड़े हाथ लिया।  न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कीटों से ताजमहल के प्रभावित होने पर चिंता व्यक्त की और प्राधिकारियों से जानना चाहा कि इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से पीठ ने कहा , ‘‘ यदि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपना काम ठीक से किया होता तो आज यह स्थिति नहीं होती। हम एएसआई के अपना बचाव करने के तरीके से आश्चर्यचकित हैं। आप ( केन्द्र ) कृपया विचार कीजिए कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की वहां जरूरत है या नहीं। ’’

इस बीच , नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ताज महल के संरक्षण के लिये अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को नियुक्त करने के शीर्ष अदालत के सुझाव पर विचार कर रहा है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के वकील ने न्यायालय से कहा कि यमुना नदी में पानी के ठहराव की वजह से कीटों की समस्या उत्पन्न हो रही है। शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में ताज महल के संरक्षण और ताज ट्रैपेजियम जोन में पर्यावरण के संरक्षण के बारे में ²ष्टि पत्र का मसौदा पेश करने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया था। ताज ट्रैपेजियम जोन करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जिसके दायरे में आगरा , फिरोजाबाद , मथुरा , हाथरस , एटा और राजस्थान के भरतपुर का इलाका आता है।      

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