सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश की आयु तय करने वाले कौन- सुप्रीम कोर्ट

Edited By Yaspal,Updated: 20 Jul, 2018 02:32 AM

supreme court to decide the age of entry of women in sabarimala

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के औचित्य पर सवाल उठाये और कहा कि मासिक धर्म 10 वर्ष की उम्र से पहले भी शुरू हो सकता है और रजोनिवृत्ति 50 वर्ष से पहले भी हो सकती है।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के औचित्य पर सवाल उठाये और कहा कि मासिक धर्म 10 वर्ष की उम्र से पहले भी शुरू हो सकता है और रजोनिवृत्ति 50 वर्ष से पहले भी हो सकती है।

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मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ भगवान अयप्पा के 800 साल पुराने मंदिर की देखभाल करने वाले त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के इस अनुरोध पर सहमति नहीं जतायी कि इस आयुवर्ग की महिलाओं पर पाबंदी इसलिये लगायी गयी है क्योंकि वे तीर्थयात्रा के लिये जरूरी 41 दिन तक शुद्धता कायम नहीं रख सकतीं।
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बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मंदिर की यह बिना द्वेष वाली परंपरा है और महिलाओं के लिये 41 दिन की शुद्धता का पालन करना शारीरिक रूप से असंभव है। उन्होंने बोर्ड की उस अधिसूचना को सही ठहराया जिसमें दस से 50 वर्ष आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगायी गयी थी।
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हालांकि पीठ ने कहा, ‘‘किसी का मासिक धर्म 45 वर्ष की उम्र में बंद हो सकता है। नौ साल की उम्र की लड़की को भी मासिक धर्म हो सकता है। इसलिये, इस अधिसूचना का कोई औचित्य नहीं है।’’ इस मामले में आगे की दलीलें 24 जुलाई को दी जायेंगी।

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