राम मंदिर मामले पर 4 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Edited By Yaspal,Updated: 24 Dec, 2018 08:19 PM

supreme court to hear ram temple case on january 4

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीन विवाद को लेकर 4 जनवरी को अहम सुनवाई करेगा। मुख्यन्याधीश रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनावई जनवरी तक...

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीन विवाद को लेकर 4 जनवरी को अहम सुनवाई करेगा। मुख्यन्याधीश रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनावई जनवरी तक टाल दी थी। इससे पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस अशोख भूषण और अब्दुल नजीर मामले की सुनवाई कर रहे थे।

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इस मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ के सामने रखा गया है। पीठ के इस मामले में सुनवाई के लिए तीन न्याधीशों की पीठ का गठन करने की संभावना है। चार दीवानी वादों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 याचिका दायर हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारुखी के फैसले में पुनर्विचार के लिए मामले को संविधान पीठ भेजने से इंकार कर दिया था। मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुखी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी।

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गौरतलब है कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए, जिस जगह रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान  को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी की एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दी जाए।

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इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबित है। 

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