Edited By Yaspal,Updated: 08 Apr, 2019 07:11 PM
च्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि समाज के आॢथक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये दस फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो मई को सुनवाई की जायेगी।...
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि समाज के आॢथक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये दस फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो मई को सुनवाई की जायेगी। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूॢत एस अब्दुल नजीर की पीठ को बताया गया कि रेलवे पहले ही दस फीसदी आरक्षण के सरकार के निर्णय के आधार पर नौकरियों के लिये विज्ञापन दे चुका है।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यदि दस प्रतिशत आरक्षण के आधार पर नियुक्तियां हो गयीं तो बाद में इसे बदलना मुश्किल होगा। केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि संविधान संशोधन पर इस तरह से रोक नहीं लगायी जा सकती है और न्यायालय पहले ही ऐसा करने से दो बार इंकार कर चुका है।पीठ ने इस पर टिप्पणी की, ‘‘हम इसका महत्व समझते हैं।’’
धवन ने जब 10 प्रतिशत आरक्षण संबंधी रेलवे के विज्ञापन का मुद्दा उठाया तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम कह सकते हैं कि ये नियुक्तियां इस मामले के नतीजे के दायरे में आयेंगी।’’ संसद ने जनवरी महीने संविधान के 103वें संशोधन विधेयक पारित किया था जिसे बाद में राष्ट्रपति ने अपनी संस्तुति प्रदान कर दी थी।
इस संविधान संशोधन के माध्यम से समाज में आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये दस फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। आरक्षण की यह व्यवसथा अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गो के लिये आरक्षण की मौजूदा 50 प्रतिशत की सीमा से अलग है।