Edited By Pardeep,Updated: 20 Jan, 2020 04:11 PM
सुप्रीम कोर्ट निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले के गुनहगार पवन गुप्ता के घटना के दिन नाबालिग होने के दावे की सच्चाई सोमवार को जांचेगा। न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना की विशेष खंडपीठ दिल्ली उच्च...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले चारों मुजरिमों में से एक पवन कुमार गुप्ता का यह दावा सोमवार को अस्वीकार कर दिया कि 2012 में अपराध के वक्त वह नाबालिग था। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भान और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने पवन कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद उसे खारिज करते हुये दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय बरकरार रखा।पवन ने उसके नाबालिग होने का दावा ठुकराने के उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि उसने खुद को फांसी के फंदे से बचाने के लिए यह हथकंडा निचली अदालत में भी अपनाया था जिसने इस संबंध में उसकी याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था परंतु वहां से भी उसे निराशा हाथ लगी थी। पवन ने अब सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है।
मेरी हड्डियों की जांच कराई जाए
याचिका में कहा गया था कि जांच अधिकारियों ने उम्र का निर्धारण करने के लिए पवन की हड्डियों की जांच नहीं की थी। उसने अपने मामले को किशोर न्याय कानून की धारा 7 (एक) के तहत चलाए जाने का अदालत से आग्रह किया है। उसने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि नाबालिग होने के दावे की जांच के लिए अधिकारियों को उसकी अस्थि जांच का निर्देश दिया जाए।