ऑफ द रिकॉर्ड: सुषमा ने कभी नहीं सोचा था कि मोदी उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं देंगे

Edited By Pardeep,Updated: 13 Aug, 2019 05:09 AM

sushma never thought modi would not give her a place in the cabinet

स्वर्गीय सुषमा स्वराज उस समय हक्की-बक्की रह गईं जब 30 मई को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उन्हें बतौर विदेशी मंत्री अपनी कैबिनेट में शामिल करने का निमंत्रण नहीं मिला। वह उस दिन 3 बजे तक फोन का इंतजार करती रहीं कि मोदी उन्हें जरूर निमंत्रण देंगे। मोदी के...

नेशनल डेस्क: स्वर्गीय सुषमा स्वराज उस समय हक्की-बक्की रह गईं जब 30 मई को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उन्हें बतौर विदेशी मंत्री अपनी कैबिनेट में शामिल करने का निमंत्रण नहीं मिला। वह उस दिन 3 बजे तक फोन का इंतजार करती रहीं कि मोदी उन्हें जरूर निमंत्रण देंगे। मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए उन्हें राष्ट्रपति भवन से न्यौता मिल गया था। हालांकि सुषमा को यह विश्वास था कि उन्हें राज्यसभा के लिए जरूर नामित किया जाएगा क्योंकि वह स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा चुनाव लडऩे की अपनी असमर्थता पहले ही जता चुकी थीं। 
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उन्होंने बतौर विदेश मंत्री विदेशों में बसे लाखों भारतीयों से ट्विटर आदि से संपर्क साध कर उन्हें विपत्ति से निकाला। हालांकि उनके कार्यकाल के शुरूआती साल में मोदी से उनके रिश्ते काफी मधुर नहीं थे। बावजूद इसके मोदी ने उन पर विश्वास करना शुरू किया और उन्हें यूनाइटेड नेशन व वल्र्ड कैपिटल कांफ्रैंस में भेजा। किडनी ट्रांसप्लांट के चलते उन्हें धूल आदि से दूर रहने की सलाह दी गई थी। इस संबंधी उन्होंने पी.एम. को व्यक्तिगत रूप से अक्तूबर 2018 में अवगत करवाया और बाद में इंदौर में इसे सार्वजनिक मंच से भी कह डाला। अपने काम के बूते उन्हें पूरा विश्वास था कि मोदी उन्हें दोबारा विदेश मंत्रालय की कमान सौंपेंगे। 
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कैबिनेट में शामिल न होने के बाद उन्हें तब झटका लगा जब उन्हें राज्यसभा के लिए भी नहीं चुना गया। उनके नाम की चर्चा राज्यपाल के लिए होने लगी। वास्तव में भाजपा नेतृत्व ने उन्हें आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के पद का ऑफर दिया था। इसके लिए उन्हें डा. हर्षवर्धन ने ट्विटर के माध्यम से बधाई भी दे डाली थी। उसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से रिटायर होने से इन्कार कर दिया और पार्टी का ऑफर उन्होंने ठुकरा दिया। अभी 6 अगस्त को भी उन्हें कहा था कि उन्होंने जल्द 67 साल की उम्र में ही राजनीति से संन्यास ले लिया। 
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उनके पास राज्यपाल के पद का ऑफर लेकर जे.पी. नड्डा गए थे लेकिन उन्होंने नड्डा का ऑफर यह कह कर ठुकरा दिया कि मैंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा है। इसलिए वह अभी राज्यपाल का पद स्वीकार नहीं करेंगी। 

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