Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Aug, 2018 10:03 AM
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस बात को लेकर बहुत सतर्क रहती हैं कि उन्होंने क्या कहना है और क्या करना है। वह बहुत ही सुरक्षित ढंग से काम करती हैं और लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि क्या वह वही सुषमा हैं जो हर समय आगे रहा करती थीं और फायर ब्रांड...
नेशनल डेस्कः विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस बात को लेकर बहुत सतर्क रहती हैं कि उन्होंने क्या कहना है और क्या करना है। वह बहुत ही सुरक्षित ढंग से काम करती हैं और लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि क्या वह वही सुषमा हैं जो हर समय आगे रहा करती थीं और फायर ब्रांड प्रवक्ता थीं मगर जब से वह मोदी सरकार में मंत्री बनी हैं तब से उनमें बहुत बदलाव आया है मगर उनमें अब एक और बदलाव देखने को मिला और सुषमा ने पिछले मंगलवार को भाजपा संसदीय पार्टी की बैठक में खलबली पैदा कर दी। उन्होंने बैठक स्थल पर मौजूद सैंकड़ों भाजपा सांसदों को बताया कि 10 अगस्त के बाद वे दिल्ली में दिखाई नहीं देने चाहिएं। उन्हें हर गांव और नगर में जाकर मोदी जी की योजनाओं और मोदी सरकार की उपलब्धियों की सफलता के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रहें। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के तुरन्त बाद सुषमा ने बोलते हुए सांसदों को स्पष्ट संदेश दिया कि उनको अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर ही अब ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। सुषमा के इस आदेश को सुनकर सांसद बहुत हैरान हुए जिन्होंने घोषणा की कि मानसून का सत्र संसद का अंतिम अधिवेशन हो सकता है जिससे ये अटकलें लगाई जाने लगीं कि लोकसभा के चुनाव निर्धारित समय से पूर्व नवम्बर-दिसम्बर में हो सकते हैं जब 4 राज्यों-राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
हैरानगी की बात यह है कि न तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों में उनकी बात का प्रतिवाद किया। इस जटिल मामले पर मोदी और शाह की चुप्पी ने सांसदों को भी चिंतित कर दिया। सुषमा के इस तरह आगे बढऩे के बारे में किसी ने सोचा नहीं था। भाजपा सांसदों को अब यह मालूम नहीं कि उन्हें आगे क्या करना चाहिए। उनके विचार में सुषमा बहन जी के निर्देश के अनुसार 10 अगस्त के बाद उन्हें राजधानी को छोड़ देना चाहिए।