सुषमा स्वराज ने पांच साल के कार्यकाल में बदल दिया विदेश मंत्रालय के कामकाज का तरीका

Edited By Yaspal,Updated: 07 Aug, 2019 01:55 AM

sushma swaraj changed the way foreign office functions in five years

भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री रहीं। उन्होंने अपने पांच साल के इस कार्यकाल में कई उपलब्धियां हासिल कीं। स्वराज ने आम आदमी तक विदेश मंत्रालय को पहुंचाया...

नेशनल डेस्कः भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री रहीं। उन्होंने अपने पांच साल के इस कार्यकाल में कई उपलब्धियां हासिल कीं। स्वराज ने आम आदमी तक विदेश मंत्रालय को पहुंचाया। उनके काम करने का एक अलग ही तरीका था। वह लोगों को सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के माध्यम से मदद पहुंचातीं थीं।
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पहले विदेश मंत्रालय अंग्रेजी का हुआ करता था, लेकिन सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री बनने के बाद ने इसके ढंग-ढर्रे में काफी बदलाव आए। विदेश मंत्रालय में हिन्दी का चलन, हिन्दी के अखबारों चैनलों में समाचारों की बाढ़ और जनता से मंत्रालय के लगाव का जज्बा सुषमा स्वराज ने ही पैदा किया। विदेश में किसी भी कोने में फंसे भारतीय को राहत दिलाना, उसके दुख-दर्द को समझना और मंत्रालय को इसके लिए संवेदनशील बनाने की पहल भी सुषमा स्वराज ने ही की।

हार्ट ऑफ एशिया में जीता था नवाज शरीफ की मां का दिल
सुषमा स्वराज दिसंबर 2015 में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने पाकिस्तान गई थीं। तब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के परिवार के अनुरोध पर उनके घर भी गईं। वहां पंजाबी बोलकर सुषमा स्वराज ने नवाज शरीफ के परिवार का दिल जीत लिया था।
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मरियम नवाज से सुषमा की नजदीकी काफी बढ़ी और भारत-पाकिस्तान के बीच में शांति प्रक्रिया का करीब-करीब रोड-मैप तैयार कर वह नई दिल्ली लौटी थीं। लेकिन यह शांति प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकी हमला हो गया।

विषय की समझ और पक्ष को रखने का निराला अंदाज
नब्बे का दशक याद होगा, जब वह भाजपा के कठिन दौर में प्रवक्ता बनाई गई थीं। प्रवक्ता के तौर पर कामकाज ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया। संसद भवन में लोकसभा में विपक्ष की नेता के तौर पर सुषमा स्वराज की अपनी एक शैली थी। विपक्ष की नेता रहते हुए उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार को अपने कौशल से घेर रखा था। 
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दरअसल सुषमा स्वराज का अपना पक्ष रखने का अंदाज निराला था। इसकी एक बड़ी वजह विषय की समझ थी। सुषमा अच्छा खासा होमवर्क करती थीं। यही वजह रही कि चाहे राजनीति हो या स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली के मुख्यमंत्री का प्रभार हो या विदेश मंत्रालय सुषमा एक अलग छाप छोड़ने में सफल रहीं।

 

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