ऑफ द रिकॉर्डः सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र का समर्थन जुटाने में असफल रहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 May, 2018 08:30 AM

sushma swaraj failed to raise un support

हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए दो-तिहाई सदस्य देशों का समर्थन जुटाने के अपने प्रयासों में विफल रहने के बाद मोदी सरकार ने इस संबंधी आगे बढ़ने का फैसला किया है। सरकार ने न्यूयार्क में अपना निजी स्थायी स्टाफ नियुक्त करने का...

नेशनल डेस्कः हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए दो-तिहाई सदस्य देशों का समर्थन जुटाने के अपने प्रयासों में विफल रहने के बाद मोदी सरकार ने इस संबंधी आगे बढ़ने का फैसला किया है। सरकार ने न्यूयार्क में अपना निजी स्थायी स्टाफ नियुक्त करने का फैसला किया है जो संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई और रिपोर्टों का अनुवाद हिंदी में सरकार की आधिकारिक वैबसाइट और सोशल मीडिया पर अपलोड करने का काम करेगा। इस पर प्रति वर्ष 1.30 करोड़ रुपए का भारी खर्चा आएगा। यह काम सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कर रही है।
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों को मनाने में काफी मेहनत की कि वे हिंदी को उसी तरह संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करें जैसे कि अंग्रेजी, फ्रैच, स्पैनिश, चीनी, रूसी और अरबी भाषा है। ये सभी 6 भाषाएं संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएं हैं। अगर दो-तिहाई सदस्य देश इसके लिए राजी हो जाते  हैं तो हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक  भाषा  बन  सकती है। ये प्रयास अटल बिहारी  वाजपेयी सरकार के समय से किए जा रहे हैं मगर इसका कोई लाभ नहीं हुआ। संयुक्त राष्ट्र के सभी स्पष्ट दस्तावेज उक्त 6 भाषाओं में प्रकाशित होते हैं लेकिन हिंदी के लिए वैसा दर्जा प्राप्त करना एक कठिन काम है क्योंकि भारत की मांग का दो-तिहाई सदस्य देशों द्वारा समर्थन करना जरूरी है।

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