SC में शाहजहां के दस्तखत पेश नहीं कर पाया वक्फ, कहा-ताजमहल खुदा की संपत्ति

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Apr, 2018 01:49 PM

taj mahal proprietary dispute evidence could not present waqf

ताजमहल पर मालिकाना हक जताने वाला सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में अपने दावे के समर्थन में आज कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं कर सका। वक्फ बोर्ड ने अपनी दावेदारी पर नरम रुख अपनाते हुए कहा कि ताजमहल का असली मालिक खुदा है। जब कोई संपत्ति वक्फ को दी...

नई दिल्ली: ताजमहल पर मालिकाना हक जताने वाला सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में अपने दावे के समर्थन में आज कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं कर सका। वक्फ बोर्ड ने अपनी दावेदारी पर नरम रुख अपनाते हुए कहा कि ताजमहल का असली मालिक खुदा है। जब कोई संपत्ति वक्फ को दी जाती है तो वह खुदा की संपत्ति बन जाती है। इससे पहले वक्फ बोर्ड का दावा था कि वह ताजमहल का मालिक है और उसके पास इसके समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद है। वक्फ बोर्ड ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि उसे ताजमहल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की देख-रेख में बनाए रखने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन नमाज और उर्स जारी रखने का बोर्ड का अधिकार बरकरार रहे। इस पर एएसआई ने अधिकारियों से निर्देश लेने के लिए वक्त मांगा। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
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कोर्ट ने मांगे थे शाहजहां के दस्तखत
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने एएसआई की याचिका पर पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान कहा था कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है, लेकिन बोर्ड की ओर से दलील दी गयी थी कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर पीठ ने तुरंत कहा था कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। वक्फ बोर्ड के आग्रह पर न्यायालय ने उसे एक हफ्ते की मोहलत दे दी, लेकिन एक सप्ताह बाद आज बोर्ड साक्ष्य प्रस्तुत करने में नाकाम रहा।
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ताजमहल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि यह कौन विश्वास करेगा कि ताकामहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरह के मामलों से न्यायालय का समय जाया नहीं किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एएसआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान की थी, जिसमें उसने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फ़ैसले को चुनौती दी है। बोर्ड ने ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित की थी। दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी करके ताजमहल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर पंजीकृत करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की थी, जिसने बोर्ड के फैसले पर रोक लगा दी थी।
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यह है मामला
बता दें कि मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करके ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें वक्फ बोर्ड के पास जाने को कहा था। मोहम्मद इरफान बेदार ने 1998 में वक़्फ़ बोर्ड के समक्ष याचिका दाखिल करके ताकामहल को बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की। बोर्ड ने एएसआई को नोटिस जारी करके जवाब देने को कहा था। एएसआई ने अपने जवाब में इसका विरोध करते हुए कहा कि ताजमहल उसकी संपत्ति है, लेकिन बोर्ड ने एएसआई की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताकामहल को बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दी थी।

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