प्लास्टिक की बोतलों, पैकेटों पर प्रतिबंध लगाने पर तीन महीने में कार्रवाई करें : एनजीटी

Edited By shukdev,Updated: 14 Oct, 2019 07:17 PM

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सोमवार को केंद्र तथा अन्य एजेंसियों को निर्देश दिए कि वे पानी की छोटी बोतलें, थैलियों और कपों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर तीन महीनों के भीतर कार्रवाई करें। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये...

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सोमवार को केंद्र तथा अन्य एजेंसियों को निर्देश दिए कि वे पानी की छोटी बोतलें, थैलियों और कपों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर तीन महीनों के भीतर कार्रवाई करें। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सामान अच्छी खासी मात्रा में प्लास्टिक कचरा पैदा करते हैं। एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर ‘पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण तथा अन्य संबंधित एजेंसियों को कानून के अनुसार तीन महीने के भीतर कार्रवाई करनी चाहिए।' 

समिति द्वारा हाल में सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार में इस्तेमाल होने वाले ‘पैकेटों/बोतलों' की हल्की, पोर्टेबल और सस्ती प्रकृति उन्हें युवा तथा सक्रिय आबादी के साथ-साथ कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक बनाए रखे हुए है। समिति ने कहा कि छोटे-छोटे पैकेटों/एक बार में इस्तेमाल होने वाले पैकेट ने बेहतर गुणवत्ता और प्रीमियम उत्पादों को समाज के सभी वर्गों तक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया। लेकिन साथ ही इसने प्लास्टिक का बड़ी तादाद में कचरा भी पैदा किया। 

उसने कहा कि अत: विधि मापविद्या विभाग के साथ विचार-विमर्श में निष्कर्ष निकाला गया कि पानी की छोटी बोतलों, पैकेटों, कपों जैसे छोटे आकार वाले पैकेटों को बंद किया जाना चाहिए जो अच्छी खासी मात्रा में प्लास्टिक का कचरा पैदा करते हैं। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि खाद्य और पेय पदार्थ, दवाइयां तथा कॉस्मैटिक्स तथा कपड़े प्रमुख सामान हैं जिनमें प्लास्टिक की पैकिंग का इस्तेमाल किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सभी नगर निगमों को खुद से या प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमों में उल्लेखित एजेंसियों या उत्पादकों के जरिए प्लास्टिक के कचरे को अलग करने, उन्हें इकट्ठा तथा निस्तारण करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।' 

इसमें कहा गया है, ‘नागरिकों खासतौर से शहरी इलाकों में रहने वाली सामाजिक रूप से जागरूक लोगों ने घर से निकले कचरे का पुन:चक्रण, पुन: इस्तेमाल करने और खाद बनाने की ओर अधिक पर्यावरण अनुकूल आदतें अपनाई हैं।' एनजीटी ने यह जांच करने के लिए मई में एक विशेषज्ञ समिति बनाई थी कि क्या खाद्य उत्पादों की प्लास्टिक पैकेजिंग को रोकने के लिए और नियम बनाने की जरूरत है। एक याचिका में स्वास्थ्य तथा पर्यावरण चिंताओं का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। अधिकरण एनजीओ हिम जागृति उत्तरांचल वेलफेयर सोसायटी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक की पैकिंग के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है। 

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