तालिबान ने कहा-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला, नहीं देंगे पाकिस्तान का साथ

Edited By Tanuja,Updated: 19 May, 2020 04:29 PM

taliban says kashmir india s internal matter won t join pakistan

पाकिस्तान में आतंकवाद को शह देने देने वाले तालिबान का कश्मीर मुद्दे को लेकर नया रुख सामने आया है । कश्मीरी आतंकवादियों को छुड़ाने में ...

इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान में आतंकवाद को शह देने देने वाले तालिबान का कश्मीर मुद्दे को लेकर नया रुख सामने आया है । कश्मीरी आतंकवादियों को छुड़ाने में प्रत्यक्ष भूमिका निभाने वाले तालिबान ने अचानक कश्मीर को भारत का आंतरिक मुद्दा बता कर जहा दोस्त पाकिस्तान को ठेंगा दिखा दिया है वहीं पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। तालिबान का यह फैसला भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को चौंकाने वाला है। तालिबान ने सोशल मीडिया पर किए जा रहे उन दावों को भी खारिज किया कि वह कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद में शामिल हो सकता है।

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तालिबान ने साफ कहा कि वह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता है। तालिबान की राजनीतिक शाखा इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने सोमवार को ट्वीट किया कि तालिबान के कश्मीर के जिहाद में शामिल होने को लेकर मीडिया में प्रकाशित खबरें गलत हैं। उन्होंने लिखा इस्लामिक अमीरात की नीति स्पष्ट है कि वह दूसरे देशों के आंतरिक मसलों में हस्तक्षेप नहीं करता है। इससे पहले सोशल मीडिया पर ऐसी तमाम पोस्ट देखने को मिल रही थी जिसमें दावा किया गया था कि तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजैद ने कहा है कि जब तक कश्मीर मुद्दा नहीं सुलझ जाता भारत के साथ दोस्ती नामुमकिन है। पोस्ट में ये भी कहा जा रहा था कि तालिबान के प्रवक्ता काबुल में सत्ता हासिल करने के बाद कश्मीर को भी छीन लेंगे।

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सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया पर इन रिपोर्ट्स की सच्चाई जानने के लिए भारत द्वारा तालिबान से संपर्क करने पर स्पष्टीकरण जारी कर बताया गया कि सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे फर्जी हैं और तालिबान के पक्ष को नहीं दिखाते हैं। गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का वक्त नजदीक आने के साथ वहां के राजनीतिक समीकरण बेहद तेजी से बदल रहे हैं।

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सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान लंबे वक्त तक पाकिस्तान अमेरिका के साथ रहा था लेकिन अब पाकिस्तान चीन, ईरान और रूस अफगानिस्तान मसले पर साथ दिख रहे हैं और अमेरिका के खिलाफ गोलबंद हैं। अफगानिस्तान में भारत भी एक मुश्किल मोड़ पर खड़ा है क्योंकि तालिबान हमेशा से पाकिस्तान का करीबी रहा है। अगर तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में आता है तो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह तालिबान शासन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकते हैं।

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