बेटी की परवरिश के लिए विधवा मां ने कुर्बान की अपनी पूरी जिंदगी, 36 साल तक पुरुष बनकर करी मजदूरी, पढ़े प्रेरक कहानी

Edited By Anu Malhotra,Updated: 16 May, 2022 04:21 PM

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हमारे समाज में बेटी की सकुशल लालन-पालन करना कितना मुश्किल है यह सच्चाई इस महिला ने अपने जीवनयापन के जरिए लोगों को बताई। दरअसल, एक सिंगर मदर ने अपनी बेटी की परवरिशन करने के लिए पूरी जिंदगी पुरूष बनकर रही, इतना ही नहीं उसने अपनी नाम की पहचान तक को...

नेशनल डेस्क:  हमारे समाज में बेटी की सकुशल लालन-पालन करना कितना मुश्किल है यह सच्चाई इस महिला ने अपने जीवनयापन के जरिए लोगों को बताई। दरअसल, एक सिंगल मदर अपनी बेटी की परवरिश करने के लिए पूरी जिंदगी पुरूष बनकर रही, इतना ही नहीं उसने अपनी नाम की पहचान तक को मिटा दिया।  दरअसल, तमिलनाडु में अपनी बेटी को पालने के लिए  थूथुकुडी जिले में 57 साल की एक महिला पिछले 36 साल से पुरुष बनकर जीवन यापन कर रही है।
 

जानकारी के मुताबिक, शादी के 15 दिन बाद ही S पेचियाम्मल नाम की इस महिला के पति की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद महिला की जिंदगी काफी मुश्किलों से गुजरी।  उस समय  एस पेचियाम्मल की उम्र मात्र 20 साल थी और वो दोबारा शादी भी नहीं करना चाहती थीं। इसके बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया लेकिन उसकी परवरिश के लिए उन्हें कई तरह के पापड़ बेलने पड़े।  गांव में जहां भी उन्होंने काम किया वहां लोग उन्हें परेशान करते रहते थे। अपनी बेटी के लालन-पालन के लिए उन्होंने कंस्ट्रक्शन साइट्स, होटल, चाय की दुकानों समेत कई जगहों पर काम किया, लेकिन पुरुष प्रधान समाज में हर जगह उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
 

इसके बाद पेचियाम्मल ने ठान लिया कि वह अब पुरुष बनकर ही इस पुरुष प्रधान समाज का मुकाबला करेगी और अपनी बेटी का पालन-पोषण करेंगी। उन्होंने तिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर में केश दान कर साड़ी की जगह कमीज और लुंगी पहनली। इतना ही नहीं पेचियाम्मल ने अपना नाम भी बदलकर मुथु कर लिया।
 

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि नाम बदलने के बाद वे करीब 20 साल पहले कट्टुनायक्कनपट्टी गांव आकर रहने लगी और  यहां उनकी बेटी और करीबी रिश्तेदारों के अलावा और किसी को जानकारी नहीं हुई कि वे पुरुष नहीं ब्लकि महिला हैं।  वहीं, अब 57 साल ही मुथु (पेचियाम्मल) ने एक साल पहले अपनी महिला पहचान उजागर कर मनरेगा का जॉब कार्ड बनवाया था, लेकिन बुजुर्ग होने के कारण अब मजदूरी करने में सक्षम न होने पर उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। 
 

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