तमिलनाडु: पहली बार करुणानिधि-जयललिता के बिना चुनाव

Edited By Anil dev,Updated: 08 Apr, 2019 11:04 AM

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तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होगा। यह स्पष्ट है कि इस बार का चुनाव उस तरह का होगा जिस प्रकार की परिस्थिति तमिलनाडु ने हाल के दशकों में नहीं देखी होगी। इसका एक कारण यह है कि यह पहला चुनाव है

नई दिल्ली: तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होगा। यह स्पष्ट है कि इस बार का चुनाव उस तरह का होगा जिस प्रकार की परिस्थिति तमिलनाडु ने हाल के दशकों में नहीं देखी होगी। इसका एक कारण यह है कि यह पहला चुनाव है जो दो प्रमुख द्रविड़ नेताओं डीएमके के करुणानिधि या एआईएडीएमके की जयललिता के बिना हो रहा है। जयललिता का दिसंबर, 2016 में और करुणानिधि का अगस्त, 2018 में निधन हो गया था। 

जयललिता के निधन के बाद उत्पन्न हो गया एआईएडीएमके में संकट 
जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके में संकट उत्पन्न हो गया। जबकि एआईएडीएमके ने 2014 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की 39 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसके बाद की परिस्थितियों से यह भी पता चलता है कि राज्य के प्रचार अभियान में इस बार एक नई तरह की भाषा दिखाई दे रही है। पहले के विपरीत इस बार राष्ट्रीय पार्टियां एजेंडा तय कर रही हैं। भाजपा केवल पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन एआईएडीएमके और कैप्टन विजयकांत की डीएमडीके के साथ गठबंधन में उसकी स्थिति मजूबत है। वहीं डीएमके के नेतृत्व वाला बड़ा विपक्षी गठबंधन कांग्रेस के लिए रैलियां कर रहा है। कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एक अंतर यह भी दिख रहा है कि पहले जहां प्रचार में स्थानीय मुद्दे हावी रहते थे, वहीं इस बार विपक्षी गठबंधन लोगों से यह सवाल पूछ रहा है कि क्या वे मोदी को हटाना चाहते हैं? 

बदल गई हैं परिस्थितियां 
तमिलनाडु में जयललिता व करुणानिधि के निधन के बाद यह पहला चुनाव है, इसलिए राज्य में राजनीतिक परिदृश्य बहुत बदल गया है। अब भाजपा एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में है। भाजपा केंद्र में पांच वर्षों से सत्ता में है, जबकि एआईएडीएमके आठ वर्षों से राज्य में सरकार चला रही है। विपक्ष की स्थिति ने राजग को रक्षात्मक रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है। एआईएडीएमके के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करने से बच रहे हैं। वहीं भाजपा के उम्मीदवार पार्टी लाइन के मुताबिक स्वच्छ भारत, जीएसटी और नोटबंदी इत्यादि की चर्चा कर रहे हैं।

दिनाकरण की पार्टी ने 38 सीटों पर खड़े किए उम्मीदवार  
 इस चुनाव में जिनको याद रखा जा सकता है वह हैं टीटीवी दिनाकरण, जो एआईएडीएमके के बागी हैं। पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद दिनाकरण ने अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कडग़म (एएमएमके) की स्थापना की। इस पार्टी की ओर से राज्य की 39 में से 38 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए गए हैं। एआईएडीएमके के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यदि दिनाकरण की पार्टी एआईएडीएमके के वोटों को बांटने का काम करती है तो गलत उम्मीदवार को मदद मिल सकती है। 


 

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