जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराए जाने पर वामपंथी नेता तारिगामी ने केंद्र से मांगा स्पष्टीकरण

Edited By Monika Jamwal,Updated: 11 Aug, 2022 07:32 PM

tarigami seeks clarification from center on non conduct of elections in jk

वामपंथी नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने बृहस्पतिवार को केंद्र से देश के लोगों को विश्वास में लेने और यह बताने को कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव वादे के मुताबिक क्यों नहीं कराए जा रहे हैं।

श्रीनगर: वामपंथी नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने बृहस्पतिवार को केंद्र से देश के लोगों को विश्वास में लेने और यह बताने को कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव वादे के मुताबिक क्यों नहीं कराए जा रहे हैं।

तारिगामी ने कहा कि जहां केंद्र शासित प्रदेश के मौजूदा ढांचे के तहत चुनाव जम्मू-कश्मीर की सभी 'समस्याओं' के लिए रामबाण नहीं हैं, वहीं एक चुनी हुई सरकार लोगों को कुछ राहत देगी। गुपकर घोषणापत्र गठबंधन के प्रवक्ता तारिगामी ने कहा,"केंद्र की मौजूदा सरकार का यह दावा बेतुका है कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति लौट आई है और सभी गड़बडिय़ां ठीक कर दी गई हैं। फिर, चुनाव में देरी क्यों हो रही है?"

उन्होंने कहा, "पहला बहाना यह बनाया गया था कि चुनाव से पहले परिसीमन प्रक्रिया को पूरा किया जाना है। उन्होंने अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार करते हुए हराकिरी (आत्महत्या) की। फिर भी, वे चुनाव कराने की स्थिति में नहीं हैं।"

तारिगामी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न केवल जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने बल्कि राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सदन के पटल पर प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा, "अगर सरकार चुनाव कराने में सक्षम नहीं है, तो उसे भारत के लोगों को ऐसा न करने का कारण बताना चाहिए।"

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा था कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने और परिसीमन आयोग के माध्यम से निर्वाचन क्षेत्रों को 'बदलने' के बाद भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में मतदाताओं का सामना करने की हिम्मत नहीं है।

अब्दुल्ला ने ट्वीट किया था, "अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से कमजोर करना, जम्मू-कश्मीर राज्य का विभाजन और दर्जा घटाना, परिसीमन आयोग के माध्यम से निर्वाचन क्षेत्रों को बदलना, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों की गतिविधियों को सीमित करना...लेकिन अभी भी भाजपा में जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं का सामना करने की हिम्मत नहीं है।" जम्मू-कश्मीर में इस साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना नहीं है क्योंकि निर्वाचन आयोग ने अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन की तारीख 25 नवंबर निर्धारित की है।


 

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