Edited By Tanuja,Updated: 10 Sep, 2020 03:46 PM
चीन की घुसपैठ के खिलाफ जापान ने भारत के समक्ष मदद की गुहार लगाई है। पूर्वी चीन सागर में चीनी युद्धपोतों की बढ़ती संख्या से परेशान ...
इंटरनेशनल डेस्कः चीन की घुसपैठ के खिलाफ जापान ने भारत के समक्ष मदद की गुहार लगाई है। पूर्वी चीन सागर में चीनी युद्धपोतों की बढ़ती संख्या से परेशान जापान ने भारत से सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। जापान के रक्षा मंत्री तारो कोनो ने कहा कि चीन जापान के लिए सुरक्षा खतरा बन गया है। जापानी विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत-चीन तनाव अपने चरम पर है।
उन्होंने भारत से चीन के विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए व्यापक क्षेत्रीय तंत्र बनाने का सुझाव दिया है। जापान ने कहा कि चीन अपने प्रभाव का विस्तार करने और सामरिक वर्चस्व कायम करने के लिए कोरोनो वायरस महामारी का भी उपयोग कर रहा है। इस कारण जापान और इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। पूर्वी चाइना सी को लेकर चीन का सभी पड़ोसी देशों से विवाद है। इसे दबाने के लिए चीनी नेवी इस क्षेत्र में लगातार युद्धाभ्यास भी कर रही है। जिसके कारण आसपास के देशों को जानबूझकर समुद्र में जाने से रोका जा रहा है।
जापानी रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन के पास क्षमता और इरादे दोनों ही गलत ट्रैक पर नजर आ रहे हैं जिस कारण चीन को अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों का उल्लंघन करने पर कुछ अतिरिक्त कीमत चुकाने के लिए मजबूर करना होगा।' जापानी रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जापान और अमेरिका इसे अकेले नहीं कर सकते हैं। बता दें कि जापानी प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने के बाद कानो के प्रधानमंत्री बनने की संभावना है।
कानो ने कहा, 'हमें वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर काम करना होगा। इसलिए एक बड़ा क्षेत्रीय तंत्र या वैश्विक तंत्र बनाया जाना जरूरी है।' इससे पहले जापानी सरकार ने देश के रक्षा श्वेत पत्र 2020 में चीन और उत्तर कोरिया को संभावित खतरा बताया था। इतना ही नहीं, जापान की सरकार ने यह भी कहा कि चीन स्थानीय समुद्रों में क्षेत्रीय दावे करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। इस समय चीन और जापान में ईस्ट चाइना सी में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। ऐसे समय में जापान के इस बयान से एशिया में तनाव और गहराने के आसार हैं।