Edited By ,Updated: 23 May, 2017 04:31 PM
आज के टाइम में कोई चायवाला या मजदूर खुद का और अपने परिवार का पेट भर ले तो यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि महंगाई के समय में दो जून की रोटी कमाना भी मुश्किल हो चला है
भोपालः आज के टाइम में कोई चायवाला या मजदूर खुद का और अपने परिवार का पेट भर ले तो यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि महंगाई के समय में दो जून की रोटी कमाना भी मुश्किल हो चला है, ऐसे में कोई रोजाना 300 लोगों को खाना खिलाए तो। अब आप कहेंगे कई संस्थाएं ऐसा करती हैं लेकिन ये कोई संस्था नहीं बल्कि एक चायवाला है। मकबूल लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं। वे 2013 से भूखे लोगों को खाना खिला रहे हैं। शहर में चाय की दुकान चलाने वाले मकबूल ने बताया कि पहले वह अपनी चाय की दुकान से होने वाले मुनाफे से ही लोगों को खाना खिलाते थे। अगर पैसे कम पड़ जाते थे तो घर से पैसा लाकर लोगों को खाना खिलाते थे। धीरे-धीरे जब लोगों को मकबूल के इस अच्छे काम के बारे में पता चला तो लोग उनसे जुड़ने लगे। मकबूल का मानना है कि अब अल्लाह कि इस रसोई में हजारों लोग भी आ जाएं तो यहां से भूखे पेट वापस नहीं जाएंगे। हमें दूसरे लोगों से सीखने की जरूरत है। अगर सभी थोड़ा-थोड़ा दूसरों के लिए करेंगे तो देश में कोई भूखा नहीं रहेगा।
मजदूर से लेकर भिखारी तक खाते हैं खाना
मकबूल के साथ काम करने वाले लोगों में दूसरी जगहों से काम की तलाश में शहर आए लोग भी शामिल हैं। मजदूर, ठेले वाले, भिखारी आदि यहां आकर अपना पेट भरते हैं और कहीं भी सो जाते हैं। मकबूल के पास उतना पैसा नहीं है कि वह सभी को अपने पैसे से खाना खिला सके। मकबूल के इस काम में शहर के सभी वर्गों के लोग भी उसका साथ दे रहे हैं। स्थानीय लोग चाह रहे हैं कि मकबूल का इस काम में ज्यादा से ज्यादा साथ दिया जाए जिससे कि शहर में और कई जगह ऐसे फ्री खाना बांटने की व्यवस्था की जा सके।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने गरीबों को खाना खिलाने के लिए दीनदयाल रसोई की व्यवस्था की थी। इसमें गरीबों को पांच रुपए में खाना मिलता है लेकिन लोगों की तरफ से दान नहीं मिलने की वजह से सरकार की यह योजना लड़खड़ाने लगी। यह योजना भाजपा के विचारक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर शुरू की गई थी। इस योजना को राज्य सरकार ने 7 अप्रैल को एक साथ 49 जिलों में लागू किया था।