Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Jul, 2019 08:57 AM
चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग ग के बाद एक बार फिर भारत चांद पर पहुंच गया है। ‘‘अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए’’ चंद्रयान-2 सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.) से शान के साथ रवाना हुआ।
नई दिल्लीः चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग ग के बाद एक बार फिर भारत चांद पर पहुंच गया है। ‘‘अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए’’ चंद्रयान-2 सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.) से शान के साथ रवाना हुआ। ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जी.एस.एल.वी.-मार्क-3 एम1 ने प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद यान को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। चंद्रयान-2 ने दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भरी। यह प्रक्षेपण अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की धाक जमाएगा और चांद के बारे में दुनिया को नई जानकारी उपलब्ध कराएगा।
7 दिन से घर नहीं गई टीम
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण को विज्ञान और भारत के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया। लॉन्चिंग की सफलता से गदगद इसरो चीफ ने रुंधे गले से सभी टीमों की प्रशंसा की और कहा कि आप पिछले 7 दिनों से अपने परिवारों को भूलकर, अपने हितों का त्याग कर लगे हुए थे, इसके लिए आपको धन्यवाद। इसरो चीफ ने तकनीकी खामी को महज 5 दिनों में ही दूर करने के लिए टीम का आभार जताया। डॉ. सिवन ने कहा कि पता नहीं अचानक चंद्रयान में तकनीकी खामी कैसे आ गई। लेकिन, इतने विशाल कार्य को इतना जल्दी पूरा कर देने में टीम इसरो ने जो जज्बा दिखाया, उसे सलाम करता हूं।' उन्होंने इसरो के इंजिनियरों, टेक्निशियनों, टेक्निकल स्टाफ समेत तमाम टीमों का अभिवादन किया और शुक्रिया कहा।
गत 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया गया था। इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ रूस, अमरीका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। 8 ऑर्बिटर में, 3 पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और 2 पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं।