Analysis: बिजनेस समुदायों के हितों पर केंद्रित रहेगा तेदेपा-कांग्रेस प्रजाकुटामी गठबंधन

Edited By Anil dev,Updated: 13 Nov, 2018 01:56 PM

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तेलंगाना विधानसभा के चुनाव 7 दिसंबर को हो रहे हैं। कांग्रेस, तेदेपा, तेलंगाना जन समिति (टी.जे.एस.) और सी.पी.आई. में महागठबंधन हो गया है। चारों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी। इस महागठबंधन को तेदेपा-कांग्रेस प्रजाकुटामी गठबंधन भी कहा जा रहा है।

नई दिल्ली (विशेष): तेलंगाना विधानसभा के चुनाव 7 दिसंबर को हो रहे हैं। कांग्रेस, तेदेपा, तेलंगाना जन समिति (टी.जे.एस.) और सी.पी.आई. में महागठबंधन हो गया है। चारों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी। इस महागठबंधन को तेदेपा-कांग्रेस प्रजाकुटामी गठबंधन भी कहा जा रहा है। सीटों को लेकर हुए समझौते के मुताबिक तेलंगाना में 93 सीटों पर कांग्रेस, 14 पर टी.डी.पी., 8 सीटों पर टी.जे.एस. और 3 सीटों पर सी.पी.आई. चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस चुनाव समिति ने 74 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं। तेदेपा-कांग्रेस प्रजाकुटामी के बीच गठबंधन एक अलग तरह का है। तेलंगाना विधानसभा चुनावों के लिए इस गठबंधन के पीछे बिजनेस समुदायों के हितों को देखा जाना चाहिए। तेदेपा-कांग्रेस के बीच हुआ गठबंधन टी.आर.एस. और भाजपा के निशाने पर है और वे इसे ‘नापाक गठबंधन’ करार दे रहे हैं।

अविभाजित आंध्र प्रदेश के विकास में व्यवसायियों की भूमिका
1990 और 2000 के दशक भारतीय पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के लिए काफी महत्वपूर्ण थे। 1991-92 और 2011-12 के बीच निजी सेक्टर में कुल वित्तीय पूंजी 12.1 प्रतिशत से बढ़कर 24.7 प्रतिशत (दोगुनी) हो गई। अविभाजित आंध्र प्रदेश के तथाकथित आंत्रप्रेन्योर्स के लिए यह अवधि बढ़िया थी। इन आंत्रप्रेन्योर्स का संबंध कामा, रेड्डी और राजू समुदायों से रहा। उदारीकरण और वैश्वीकरण ने निजी निवेशकों के लिए नए क्षेत्र खोल दिए थे। इसमें अलग भारत के कम लागत वाले मैन्युफैक्चरिंग और टेक्निकल मैनपावर को निर्यात करने वाले नए उद्योगों को पूरा अवसर दिया गया। इसमें आई.टी. और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। इस दौर में व्यवसाय आगे बढ़ा। 

इसमें लैंको ग्रुप के एल. राजागोपाल, नवयुग के सी. विशेश्वर राव, अमर राजा बैटरी के रामचंद्र गाला, सोमा इंटरप्राइज के राजेंद्र प्रसाद मागंती, मधुकोन के एन. नागेश्वर राव, ट्रांसट्राय इंडिया के श्रीधर छेरुकुरी, एस.ई.डब्ल्यू. इन्फ्रास्ट्रक्चर के वी. नागेश्वरा राव, सुजाना के वाई.एस. चौधरी, विजयी इलेक्ट्रिकल्स के डी. राय रमेश, डिवीस लेबोरेटरीज के मुरली के. डिवी, नेटको फार्मा (आल कामास) के वी.सी. ननपेनामी, डॉ. रेड्डी लैब्स के के. अंजी रेड्डी, अरबिंदो फार्मा के पी.वी. रामप्रसाद रेड्डी, जी.वी.के. ग्रुप के जी.वी.के. रेड्डी, गायत्री प्रोजेक्ट्स के टी. सुब्रामी रेड्डी, आई.वी.आर.सी.एल. के ई. सुधीर रेड्डी और रामकी इंफ्रा (आल रेड्डीज) के अयोध्या रामी रेड्डी, सत्यम कम्प्यूटर के बी. रामालिंगा राजू, नागार्जुना कंस्ट्रक्शन के ए.वी.एस. राजू, नागार्जुना फर्टिलाइजर्स के के.एस. राजू, सिटी के सी. सारीनी राजू और गंगावरम पोर्ट (आल राजुस) के डी.वी.एस. राजू को फायदा हुआ। जी.एम.आर. ग्रुप के ग्रांधी मल्लिकार्जुना राव और आर्य विजया (परंपरागत समुदाय) के कोमाटी पुराने खिलाड़ी हैं। 

आंत्रप्रेन्योर्स का संकट
इनमें से अधिकांश ग्रुप अब गहरी मुसीबत में हैं। अप्रैल 2009 में सत्यम कम्प्यूटर का महिंद्रा ग्रुप ने अधिग्रहण कर लिया, क्योंकि इसके चेयरमैन रामालिंगा राजू एक बड़े स्कैंडल में फंस गए थे। इसमें डी.वी.एस. राजू, सारीनी राजू कंपनी के प्रबंधक का एक हिस्सा था। लांको, सोमा, मधुकोन, ट्रांसट्राय, प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन्स, एस.ई.डब्ल्यू., सुजाना, आई.वी.आर.सी.एल., रामकी और नागार्जुना फर्टिलाइजर्स सभी कंपनियां कर्ज में दबी हैं और अभी तक ये बंद नहीं हुई हैं। जी.एम.आर. और जी.वी.के. अपने गिरते रुख को दर्शा रहे हैं। इनका संबंध एयरपोर्ट्स, पावर प्लांट्स, हाईवेज और बिल्डिंग्स बनाने से है, लेकिन आंत्राप्रेन्योर्स का संकट न केवल वित्तीय है, बल्कि अस्तित्व का भी है। जून 2014 में तेलंगाना प्रदेश के अस्तित्व से पहले ऊपर लिखित सभी नाम या तो तटीय आंध्रा से हैं या फिर रायलसीमा से संबंधित हैं, जिनसे अब नया आंध्र प्रदेश बनाया गया है। इन दो क्षेत्रों से संबंध रखने वाली इन कंपनियों का ऑपरेशनल आधार बुनियादी तौर पर हैदराबाद में है, जो आंध्र प्रदेश की राजधानी है, जिसे अब तेलंगाना नाम दिया गया है।

तेलंगाना का राजनीतिक इतिहास और अविभाजित आंध्र प्रदेश
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की (के.सी.आर.) पार्टी की सफलता इसकी अपनी कुशलता पर निर्भर करती है। इसके तटीय क्षेत्र को लोगों द्वारा कब्जाए जाने के खिलाफ स्थानीय लोगों में रोष है। तेलंगाना विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी का एकजुट होना बड़ा महत्वपूर्ण है। कांग्रेस परंपरागत रूप से रेड्डी पार्टी के नाम से जानी जाती है। अविभाजित आंध्र प्रदेश के 13 में से 9 मुख्यमंत्री रेड्डी समुदाय से रहे हैं। दूसरी तरफ, टी.डी.पी. आगे बढ़ रहे कामा के हितों का प्रतिनिधित्व करती है। इसके संस्थापक एन.टी. रामाराव 1983 में मुख्यमंत्री बने थे। नायडू जो एन.टी.आर. के दामाद हैं, की खुद की एक कंपनी हेरिटेज फूड्स लिमिटेड है। नायडू कामा के प्रतिनिधि हैं और उन्होंने  हैदराबाद में कामा के कारोबारी हितों को सुरक्षित रखने में जमकर उनका साथ दिया है। यह इसलिए क्योंकि आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती बनने में समय लगेगा। केंद्र सरकार अमरावती के लिए पर्याप्त फंड नहीं दे रही है और न ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दे रही है। तेलंगाना काफी समृद्ध राज्य है। यही कारण है कि टी.डी.पी. ने भाजपा नीत एन.डी.ए. से गठबंधन तोड़ दिया है।

कांग्रेस का गठबंधन करना एक बड़ा संकेत
कांग्रेस का एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रजाकुटामी यानी लोक गठबंधन (पीपुल्स अलायंस) करना एक बड़ा संकेत है। तेलंगाना में कांग्रेस, टी.डी.पी., टी.जे.एस. और सी.पी.आई. का महागठबंधन बन गया है। बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते जब टी.डी.पी. नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू दिल्ली में राहुल गांधी से मिले तो उसी मुलाकात में सीटों आदि को लेकर बात हो गई थी। रेड्डियों की भी अपनी मजबूरी है। बड़े रेड्डी उद्योगपति तटीय आंध्र प्रदेश से हैं। पी.वी. कृष्णा रेड्डी की मैगना इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स पिछले 3-4 सालों में काफी फली-फूली है, जिसने तेलंगाना सरकार में 80,000 करोड़ रुपए की कालेश्वर लिफ्ट सिंचाई योजना कृष्णा जिले में लगाई है। तेलंगाना में काफी संख्या में रेड्डी मौजूद हैं, लेकिन दोनों राज्यों में खुद को बिना सत्ता के महसूस कर रहे हैं। के.सी.आर. वेलामा जो कृषि समुदाय से संबंधित हैं, की संख्या बहुत कम है। आंध्र प्रदेश में गैर-रेड्डी, गैर-कामा मुख्यमंत्री बने हैं। यह संभवत: पहली बार है, जब उनका कोई राजनीतिक वजन नहीं है। के.सी.आर. ने खुद तेलंगाना बनाने का श्रेय लिया है। इसी ने अलग राज्य के आंदोलन का संचालन किया था। साथ ही, व्यवसायियों को बढ़ावा दिया जो बाहरी हैं। के.सी.आर. के अपने समुदाय के कुछ उद्योगपति हैं, जिनमें माय होम कंस्ट्रक्शंस के जुपाली रामेश्वर राव, यशोदा हॉस्पिटल्स के जी. रावेंद्र राव, पन्नेर इंडस्ट्रीज के जे. नरुपिंद्र राव और ऋत्विक प्रोजेक्ट्स के सी.एम. रमेश शामिल हैं। 

कांग्रेस के लिए आसान नहीं आधार बनाना
कांग्रेस के लिए तेदेपा के साथ गठबंधन और तेलंगाना में अपना आधार बढ़ाना आसान काम नहीं है। वरिष्ठ नेता एस. जयपाल रेड्डी ने प्रजाकुटामी में के.सी.आर. का मुकाबला करने की कोशिश यह कहते हुए की कि यह सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्रीय समिति है, जिसने राज्य को आंध्र प्रदेश के ठेकेदारों के हाथों बेच दिया है। उन्होंने दावा किया है कि के.सी.आर. ने गैर-तेलंगाना व्यवसायियों को 77,000 करोड़ के ठेके दिए हैं। तेलंगाना में 7 दिसंबर को मतदान होना है। देखना यह है कि क्या यह गठबंधन सफल होगा और भविष्य के लिए नई संभावनाएं खोलेगा।   

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