पूछताछ में जैश आतंकियों का बड़ा खुलासा, IED बनाने में RDX की जगह आतंकी इस्तेमाल कर रहे जिलेटिन

Edited By rajesh kumar,Updated: 19 Jan, 2020 11:46 AM

terrorists are using gelatin instead of rdx to make ied

जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकवादियों से की गई प्राथमिक पूछताछ में यह पता चला है कि घाटी में सक्रिय आतंकी संगठन अब आई.ई.डी. बनाने में आर.डी.एक्स. का नहीं बल्कि जिलेटिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। दरअसल जिलेटिन कश्मीर में...

जम्मू: जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकवादियों से की गई प्राथमिक पूछताछ में यह पता चला है कि घाटी में सक्रिय आतंकी संगठन अब आई.ई.डी. बनाने में आर.डी.एक्स. का नहीं बल्कि जिलेटिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। दरअसल जिलेटिन कश्मीर में सरकारी काऊंटरों पर आसानी से उपलब्ध है। कश्मीरी इसका इस्तेमाल पत्थर की खदानों में करते हैं। यही नहीं पकड़े गए आतंकियों ने यह भी बताया कि उन्होंने गणतंत्र दिवस से पहले सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। इसके लिए वे आई.ई.डी. तैयार करने ही वाले थे और इसके लिए उन्होंने 100 से 200 जिलेटिन छड़ों का प्रबंध कर लिया था।

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पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए 5 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हाल ही में हजरतबल और हबक इलाकों में 2 ग्रेनेड हमलों में शामिल थे। पुलिस ने जांच में यह भी पाया कि जैश के गिरफ्तार आतंकवादियों ने श्रीनगर में किसी इलाके में जिलेटिन की 143 छड़ें छिपाई हुई हैं। आतंकियों से जगह का पता पूछने के बाद पुलिस टीम ने उस जगह छापा मारा और जिलेटिन की छड़ें और नाइट्रिक एसिड सहित अन्य सामान जब्त कर लिया। इन आतंकियों का मकसद गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर एक बड़ी वारदात को अंजाम देना था।

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क्या है जिलेटिन: जिलेटिन एक विस्फोटक है। यह नाइट्रोसैल्यूलोज या गन कॉटन है, जिसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रोग्लायकोल में तोड़कर इसमें लकड़ी की लुगदी या शोरा मिलाया जाता है। यह धीरे-धीरे जलता है पर बिना डैटोनेटर्स के विस्फोट नहीं कर सकता।

कहां होता है इस्तेमाल: जिलेटिन से बनी छड़ों का उपयोग गिट्टी क्रशर पर चट्टानों को तोडऩे के लिए किया जाता है। पहाड़ों को तोडऩे के लिए भी विस्फोटक के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

क्या होता है डैटोनेटर: डैटोनेटर की मदद से बम को सक्रिय किया जाता है। सामान्य भाषा में इसे बम का ट्रिगर भी कह सकते हैं। इसका इस्तेमाल गड्ढा खोदकर छुपाए गए बमों आई.ई.डी. (इम्प्रोवाइज एक्सप्लोसिव डिवाइसिस) में किया जाता है। डैटोनेटर से बम की विस्फोटक क्षमता बढ़ जाती है। नक्सली आमतौर पर ऐसे ही बमों का उपयोग करते हैं।

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