Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Nov, 2019 08:29 PM
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुंबई के शिवाजी पार्क में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना
मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के 19 वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया। हालांकि, वह बिल्कुल अलग विचारधारा रखने वाली पार्टियों के साथ त्रिदलीय गठबंधन के नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। मनोहर जोशी और नारायण राणे के बाद वह शिवसेना से राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री हैं। जोशी और राणे 1990 के दशक में मुख्यमंत्री रहे थे।
इसके अलावा, उद्धव देश के इस सबसे धनी राज्य में मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य भी हैं। मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव वाले उद्धव (59) ने 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के लिये अपने पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ सौदेबाजी में उसी आक्रमकता का परिचय दिया जो उनके दिवंगत पिता बाल ठाकरे में दिखा करती थी। भाजपा के साथ मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिये साझा करने के अपने रुख पर वह अडिग रहे और झुकने से इनकार कर दिया। उनके इस कदम के चलते करीब तीन दशक पुराना भगवा गठजोड़ टूट गया और राज्य की राजनीति ने नयी करवट ली।
भाजपा से नाता तोड़ने के बाद अब उद्धव को राज्य के नेतृत्वकर्ता के तौर पर खुद को साबित करना है, जो कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) जैसी बिल्कुल अलग विचाराधारा वाली पार्टियों के साथ एक नयी राजनीतिक राह पर चल सके। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ‘महाराष्ट्र विकास आघाडी' (एमवीए) के घटक दल हैं। हिंदुत्व की राजनीति के लिये जाने जानी वाली पार्टी (शिवसेना) अपने शुरूआती दौर से ही ‘‘कांग्रेस-विरोधी'' रही है लेकिन अब उसने एक नये चरण में प्रवेश किया है जहां उसे बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में ठाकरे के नेतृत्व में एक नयी राह पर चलना है। मुंबई में 27 जुलाई 1960 को उद्धव का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बालमोहन विद्यामंदिर में प्राप्त की और बाद में जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स से स्नातक किया, जहां उनका मुख्य विषय फोटोग्राफी था।
उद्धव ने राजनीति में लंबे समय तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, ना ही किसी सार्वजनिक पद पर आसीन रहे और इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि वह एक ऐसे राज्य में शासन की पतवार को कैसे थामते हैं जो आर्थिक महाशक्ति है और देश की वित्तीय राजधानी भी है। एक पेशेवर फोटोग्राफर के तौर पर उनके द्वारा ली गई तस्वीरें विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई और कई प्रदर्शनियों में देखने को मिलीं। हालांकि, उद्धव जनवरी 2003 में शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होने से पहले बहुत हद तक अपने पिता के ही साये में रहे। उद्धव ने शिवसेना प्रमुख का प्रभार औपचारिक रूप से 2012 में संभाला जब उनके पिता का निधन हो गया।