Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Jul, 2018 02:00 PM
बिहार में जब विपक्षी सियासत नई करवटें ले रही है और संभावनाओं के सूरज की लालिमा हसरतों की मानिंद कई ख्वाबों पर पसर रही है तो ऐसे में लालू यादव के दोनों बेटों की अघोषित जंग यकबयक जमीन पर उतर आई। चुनांचे मुंबई के एक अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे लालू...
बिहार में जब विपक्षी सियासत नई करवटें ले रही है और संभावनाओं के सूरज की लालिमा हसरतों की मानिंद कई ख्वाबों पर पसर रही है तो ऐसे में लालू यादव के दोनों बेटों की अघोषित जंग यकबयक जमीन पर उतर आई। चुनांचे मुंबई के एक अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे लालू को इलाज बीच में छोड़ कर पटना लौट आना पड़े तो मान लीजिए कि इस कहानी में पेचोंखम बहुत हैं। इस कहानी की शुरूआत राजद के स्थापना दिवस 5 जुलाई से होती है। अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के राजनीतिक प्रादुर्भाव से विचलित बड़े भाई तेज प्रताप अपना दुख-दर्द छुपा नहीं पाए और कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए तेज प्रताप ने पार्टी में हो रही अपनी उपेक्षा को स्वर देते हुए कहा कि उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं हो रहा है, पार्टी जिस तरह चल रही है इससे वह खुश नहीं हैं। उस वक्त जब तेज प्रताप अपना दुखड़ा रो रहे थे तो तेजस्वी ने उठकर कहा कि ‘वह अपनी स्पीच छोटी करें और पार्टी के एक सीनियर मोस्ट लीडर की तरह आचरण करें,’ यह कहकर तेजस्वी वहां से चले गए।
सूत्रों की मानें तो जब इस बात की भनक लालू को लगी तो वह भागे-भागे पटना पहुंचे, बड़े भाई के आचरण से नाराज तेजस्वी पिता से मिलने की बजाय रूठ कर दिल्ली चले गए। तेज प्रताप ने भी आनन-फानन में अपने चुनाव क्षेत्र वैशाली के महुआ की ठौर पकड़ ली। उन्होंने साइकिल से महादलितों की बस्ती की परिक्रमा की, एक किसान के घर रुक कर चारा काटा, एक दलित के घर सत्तू खाया और एक सरकारी अधिकारी को फोन लगाकर स्पीकर फोन पर उनका कुशलक्षेम पूछा। अपने जीवन में ऐश्वर्या के प्रवेश के बाद तेज प्रताप भी अपनी इमेज बदलने की कवायदों में जुट गए हैं। अब वह अपने साथ भी चंद मुंहलगे पत्रकारों की मंडली लेकर चलते हैं, अपनी पॉजीटिव खबरें छपवाते हैं और गाहे-बगाहे अपने छोटे भाई तेजस्वी को भी कोसने से संकोच नहीं करते।
-त्रिदीब रमण